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________________ डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग विशेष नोध झेरोक्ष सी.डी.नं. ग्रंधान २०८. ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता सं बत पत्र संख्या १२७० उपदेशरत्नकोश सह टब्बार्थ ................ ...................१८७५१२७१./स्व रोदय ............... १२७२ आत्मनिन्दा ................................. ज्ञानसार मुनि १२७३.गौतमक्ल क ................. १२७४ . दो काव्य पंचपाठी अर्थ सहित ............. १२७५ कायस्थिति भाव बंधादि विचार ............... १२७६ विचारसंग्रह ................ १२७७ मूर्खविचार सज्झाय १२७८ कपूरचक्र यंत्रफल ........ले. माणिक्यराज १२०९ चार्षिक ग्रंथ ............... १२८०. शत्रुञ्जयकुलक........... १२८१. दशार्णभद्र चौडालियादि सज्झाय .. १२८२.नवतत्व + चतुः शरण.... १२८३ . प्रकीर्णक विचार संग्रह .......... १२८४ . जिनप्रतिमापूजाविचार ............ १२८५.अनिट्कारिका व्याख्या सह १२८६ - देशविरती प्रायश्चित विधि .................. .जिनप्रभसूरि १२८७ उपस्थापनविधि .................. १२८८ - गणधरवाद.................. सोमध्यजगणि १२८९ - जिनप्रतिमादबकरणहुन्डीरास अपूर्ण ....... १२९०. धार्मिक सुभाषित........... १२९१/१ अक्षयतृतीयादिपर्व व्याख्यान + नवतत्वसह बालावबोध. १२९१/२ मौनएकादशी ..... (५६से६०५ १२९२ . चैत्रीपूनम देववांदवा विधि १२९३ . मौनएकादशी स्तवन..... समयसुंदर १२९४ . जैनमहिम्न स्तुति (स्तोत्र)........ .१८८८ 2 0 ..१३८९...... ......१९३० Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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