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________________ रोक्ष डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी.न. ग्रंथान विशेष नोंध .........१२१६... ............... ........१२१६. ......... १९८ ग्रंथांका पंधन नाम कर्ता संवत् पत्र संख्या | १००८ - कल्पसूत्र........... -कुशलमुनि ............१८६२ .........४४० १००९ - पर्युषणाकल्पदुर्गपदविवृति ... १०१०. कल्पसूत्र सह वृत्ति ................ १०११. स्थविरावली पर्युषणा कल्प अपूर्ण १०१२ - अठ्ठाइ व्याख्यान...... मुळचंद्रजी....... १०१३.शिशुपालवधटीका अपूर्ण ... कवि माध..... १०१४ . मेघदूत काव्य ....... .कवि कालीदास. १०१५. किरातार्जुनीय काव्य ......... .ले. हर्षविमल, क. भारवि १०१६ - किरातार्जुनीय काव्य .... भारवि........... १०१७ माघ काव्य (शिशुपालवध टीका) कवि माघ ....... १०१८ - किरातार्जुनीय वृत्ति भारवि......... १०१९ रघुवंश सस्तवक अपूर्ण . १०२०. पाक्षिक अवधूरि ........... १०२१. भगवतीसूत्र सह वृत्ति .................. विमलगणि ...........................१६३० १०२२ - पनवणासूत्र ....... रत्नविवेकमुनि ...................... १०२३ - कर्पूर सहावचूरि ... १०२४ . उत्तराध्ययनसूत्र सह बृत्ति . ..................-१६० से १०२५. भक्तपरिज्ञा सह अवचूरी .....................शांतिसूरि १०२६ . हुंडीका ग्रंथ (१०२९ नी साथे छे.)...... १०२७. व्यवहारसूत्र ......." १०२८ . सिध्यमाभृत सह वृत्ति ....... १०९. सिध्यांतहुंडिका सह बीजक, हुंडीका ग्रंथ ... पद्मविलासमुनि, .......(१०२६ नी साथे मुकेल छे.) .............. -गुणविनयगणि ........... र.१८४१,ले.१८४३ -..२७४ + १०३०. भुवनभानुकेवलीचरित्र कथा सह ........ १०३१. शोभनमुनि वृत्ति जयविजयगणि १०३२ . मुक्तावलि (श्लोक संग्रह).. १०३३ - पार्श्वनाथचरित्र ...... भावदेवसूरि ... .१८0-........ ...१५१ ....... ३३९ ........३०५ २६८ ........... १०२९ नी साथे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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