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________________ विशेष नोंध डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक. ग्रंथनु नाम । कर्ता संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं. ग्रंथान ९२९ ..सिंदूरमकरवृत्ति ............... हर्षकीर्ति सूरि .. ....४७.... ९२६... ९४५....... ३३८ ९३०.. सिंदूरप्रकरटीका ............. -गुणकीर्तिसूरि ............१८०३ ...........११ .. ९२६... ९४५ ....... ३३९ ९३१ .. अक्षयतृतीया व्याख्यान ............... .राजमूर्ति . F...........१८३२ +.....थी२० ९३२ .. अमरकोश लिंगानुशासन ................... अमरसिंह ...... ...२१५ ९३३ .. सिध्यांतचंद्रिका ........................... ..............................३६ ९३४ ..नवपदपूजा ...... धरमसिंह..... ...................६ ९३५ .. स्थंभन पार्श्वनाथ स्तबन .... कुशललाभ ९३६ ..लोकनालिका द्वात्रिंशिकावृत्ति ............... ....................१८५० ९३७ .. ऋषभविवाहली .................... ९३८ .. भगवतीबीजक .............................. .माणिक्यसागरगणि ...................१९२४ ९३९ -- भगवतीवृत्ति ................ माणिक्यसागरगणि ...................१८४४ .....१८६१६ ९४० --लघु प्राध्यजितकल्पसूत्र सह वृत्ति. ९४१ ..सिध्धांतकौमुदी ९४२ ... प्रतिक्रमणविधि. ........................ eva..Jहरिविक्रमचरित्र.............................. जयतिलकसूरि .......................१८६० ९४४ ... प्रवचनसारोद्धार सटीक.. ९४५ ..उपदेशमालावृत्ति .वरचंद्र गणि. ................. 1... ९२६....९४५ --......... ९४६ ..रुपसेनकथा .अमरविजय...........................१७२४ -.........३५ ९४७ .. कर्मग्रंथ प्रथमथी पांच सटीक .............. मलयगिरि ............... ..........४००0---- ९४८ ..कथारत्नाकर ........ ................. दरडामेहाजल ........................१६६७ ....(१२१ थी .....................१६१)४० ...1000---- ९४९ .. भक्तामरस्तोत्र सटीक ................... मानतुंग सूरी .... ..१५७२ ---- ९५० ...पष्टिशतक प्रकरण..... ९५१ ..गौतमपृच्छा सह वृत्ति .. दयाराज मुनि ९५२ ... श्रावकविधिप्रकाश ........ जयचंद्र मुनि ... ९५३ --- दृष्टांतशतक पत्र ............. -गुणविजय ..... ७६९ ९५४ ...सुभाषितसारोघ्यार .......... .विजयचंद ..... .१५०६ ...................जयचंद्र सरि ...१५१८ ........६९ +.......-२८३ Jain Education International For Private &Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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