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________________ डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान | विशेष नोध १६४ | ग्रंथांक ग्रंथ नाम कर्ता संवत | पत्र संख्या। झेरोक्ष सी.डी.नं. १२८ ..सिंदूरप्रकर सह वृत्ति................. .हर्षकीर्तिसूरि ................ ...१८९४ ..... १२९ .. सिद्धांतचंद्रिका ......... रामचंद्र १३० ... पाक्षिकसूत्र + क्षेत्रसमाससूत्र ................. कुशलरंगमुनि १३१ ..नारचंद्र (ज्योतिषशास्त्र)..... १३२ ... प्रभंजनादि सज्झाय १३३ ..रघुवंश... कालिदास १३४ .. प्रकीर्णक पोथी (संकलन) .... १३५ .. राईप्रतिक्रमण विधि .. १३६ .. अमरकोश (लिंगानुशासन)............ .अमरसिंह .. १९२२ १३७ .. सारस्वतव्याकरण ........ चंद्रकीर्ती. ........ १७४५ १३८/. भक्तामरस्तवटीका .... .ले. देवसूरि १९०७ .... १०४... १६१ ........ ३३२ १३८/७. लघुशांतिटीका सहित + तिजयपुहुत्त ........ हर्षकीर्तिसूरि १६४४ .... १०४... १६१ ........ ३३२ १३९ ... कल्याणमंदिर टीका ...... .पं. माणेकमुनि .. १९०५ १४० ... आदिनाथस्तवन.... हेमसारमुनि १४१ .. ऋषभदेवस्तोत्र. १४२ .. अध्यात्मबत्तीसी ......... १४३ .. कुमती उत्थापन ...... ... १०४... १६१ .... |पंचकल्याणक पूजा ............ १४५ ..चतुर्विशती स्तवन जिनराजसूरि ............... .... १०४... १६१ .......३३२ १४६ .. अध्यात्मपदावली - ज्ञानसार ....... २३ १४७ .. सिध्धचक्र गुणना + रोहिणी तपविधि ....... १४८ ..चतुर्विशतिजिनस्तव पंचाशिका ............. .ले.पं. सागरचंद्र .....................१८५७-............५ १४९ .. जिनसहस्रनामस्तोत्र ....... .सिद्धसेन दिवाकर ले. क्षमाचंद्र ... J....१०४... १६१....... १५०...पंचविंशतिकथा १५१ ...मल्लीजिन स्तवन ........ ......... 19 q q 1 ...........३ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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