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________________ पत्र संख्या . •प्रा. जिनमद्रसूरि कामळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध ......९७७ ....................गा.२६३ ........................ गुज...... ...गा.५२. प्रति पाणीमां भीजाएली छे ... ९८२... ९९७ ............. २५० | ग्रंथांक ग्रंथन नाम | स्थितिा कर्ता भाषा संवत - ९७७ ........ पंचवस्तुकप्रकरण.... श्रेष्ठ .... हरिभद्रसूरि ............. .........१९८४................. ९७८ .......!लपक्षेत्रसमासप्रकरण टिप्पणीयंत्रसह . श्रेष्ठ .... रत्नशेखरसूरि........ प्रा.सं. १८६९ ९७९........दीवालीस्तवन ....... मध्यम ... गुणहर्ष ........... १९०२ ९८०........कल्पसूत्रवृत्ति .................. जीर्ण ... ९८१......... गौतमस्वामिरास ......... श्रेष्ठ ..... विजयभद्र .......... गुज. १४१२ ९८२ ........ विचारपंचाशिका सायचूरि ............. श्रेष्ठ ..... विजयविमलगणि -अ...प्रा.स............ १९०१ अपरनाम वानर्षिगणि ......... स्योपज्ञ ........ अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र सस्तबक ... श्रेष्ठ .......... प्रा.गु- ........... १९२४, ........खंडाजोयणबोल .......... मध्यम ....... गुज. निशीथसूत्रवचनिका ..... श्रेष्ठ.... गुज............. १९०८ राजनीतिवर्णनकवित... श्रेष्ठ ..... देवीदास .. ............ १९११ दीपालिकाकल्प जीर्णप्राय जिनसुंदरसूरि. . सं.र.१४८३-ले.१७४० आनंदसंधि जीर्णप्राय श्रीसारमुनि ............. गुज. र.१६८१-ले.१७३१ जयतिहुअणस्तोत्र सटीक .......... अभयदेवसूरि मू......... अप.सं ............ १७८१ .......... नवतत्त्वप्रकरण सस्तवक ............. .............. श्रेष्ठ .... मानविजयजी -स्त........ प्रा.गु............ १७७३ -ग्रं.११०० हिंदी ....९८७ + ९८८..२७२ .....९८७ +९८८.......... गा.२४८ .... ९८२... ९९७..............२५० मू.अं.१२५, ग्रं.११५० १९१..... स.-........... ... ९८२... ९९७ .............. १९२. पत्र रजु नथी प्रति चोंटी गएली छ| ... ९८२... ९९७........ ... ९८२... ९९७ ૧૭૧૫ ..... १५२८ ...९०७ सिद्धांतचंद्रिका उत्तरार्द्ध. श्रेष्ठ....रामचन्द्रामम...... ९९२...... नियतानियतिविचार .. जीर्णप्राय पार्धचन्द्रगणि अनेकार्थतिलक....... जीर्ण .... महीप ........... स्यायंतप्रक्रिया श्रेष्ठ .....सर्वधर .... +सूत्रकृतांगसूत्र अपूर्ण... अतिजीर्ण...... द्वादशभावना ..... श्रेष्ठ .... सकलचंद्रगणि ....... सिंहासनबत्रीसी.............. प्रश्नोत्तरपष्टिशतअवधूरि ३.अ. ..... अतिजीर्ण दशवकालिकसूत्र सस्तबक अतिजीणी. १०००..... सारस्वतव्याकरण ......... मध्यम ... अनुभूत स्वरूपाचार्य .. १००१ ...... वैद्यकसारोद्धार सटीक अपूर्ण ........... जीर्णप्राया हर्षकीर्तिसूरि ......... ९८२... ९९७ १००१ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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