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________________ प्रा. .........गा.२९ ६३७.. ६४३ जिनभासूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांकग्रंथर्नु नाम स्थिति । कर्ता भाषा ____संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्षसी .डी ग्रंथान। विशेष नोध ६३५/४ ..... आवश्यकनियुक्तिगतकतिविद्गगाथा ...... श्रेष्ठ ........ ६३६... कर्मविपाककर्मग्रंथ सस्तबक ............श्रेष्ठ..... देवेंद्रसूरि मू............ प्रा.गु. बाजसनेयीसंहिता .......................मध्यम......... गुज. .६३७+६३८. .................बचमा घणां पाना सूटे छे ६३८ जिनबिंबनमस्कार .......................मध्यम ....... गुज. ६३७+६३८ जिनमालिका....... जीर्ण .... सुमतिरंग.. गुज. माधवानलकामकंदलाचोपाई .......... ... श्रेष्ठ ..... कुशललाभ ....... गुज. र.१६१६-ले.१६६७ ....... गा.५५० पत्र १०-११, १५-१६, १८ नथी योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय..... --मध्यम... हेमचंद्रसूरि... कातंत्रव्याकरणसूत्रपाठ... जीर्णप्राय ----- ६४२...२७१ भीमसेनचोपाई मध्यम ...जिनसुंदरसूरि ...... .........गा.१४२८ सूत्रकृतांगसूत्र..... श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्वामी .... पंचपरमेष्ठिनमस्कार ... मध्यम .. जिनवल्लभसूरि ... ६४५...........गा.१३ पंचसंवरगीत ....... जीर्णप्राय हीरदेव ....... ६४६+६४८ ...........गा.२४ श्रीपतिपद्धतिवृत्ति ...... जीर्ण ....! प्रति चोंटीने खराब थई छे नेमिनाथस्तव तथा देवगुरुगीत .........जीर्णप्रायः .... .....६४६+६४८ अढारपापस्थानकभास ... श्रेष्ठ..... ब्रह्मकवि............ गुज............. १६६८ प्रति उंदरे करडेली छे ६५०...... संग्रहणीप्रकरण सटीक.. श्रेष्ठ.....श्रीचंद्रसूरि मू.. ...........६५०..... ..........३५०० ........... देवभद्रसूरि -टी. (५१.....- पिंडविशुद्धिप्रकरण ................. श्रेष्ठ..... जिनबल्लभगणि ...६५१+६५२......... गा.१०३ ६५२ ...... नव्यबृहरक्षेत्रसमास ............... जीर्णप्राय सोमतिलकसूरि ..६५१+६५२.८.२७१ गा.३८६ ६५३ ...... नव्यबृहत्क्षेत्रसमास ....... --मध्यम ...सोमतिलकसूरि +गा.३८६ ६५४/१... पंचनिधीप्रकरण.. मध्यम ...अभयदेवसूरि .... ६५४ गा.१०६ ६५४/२ ... पार्श्वनाथविनती मध्यम .. जिनसमुद्रसूरि ..... ........गा.९ ६५५/१ ... लघुक्षेत्रसमासप्रकरण रत्नशेखरसूरि ....... १-१४ . गा.२६७ ६५५/२ ... दंडकप्रकरण.... गजसारमुनि ......... १४-१६ ... गा.३८ ६५५/३ ... जीवविचारप्रकरण...... शांतिसूरि १६-१८ ....गा.५१ ६५५/४ ... नवतत्वप्रकरण .... श्रेष्ठ १८-२० ....गा.४७ ६५६..... प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी मध्यम ... अभयदेवसूरि गा.१३२. ६५७........ उत्तराध्ययननां गीतो.. श्रेष्ठ.....राजशील उपाध्याय.... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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