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________________ कर्ता विशेष नोंध ..................... ............... पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान रजु ..... ३४८ थी ५१............ गा.१५ ....३४८ थी ५१ ......... जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति। भाषा संवत् ३५०/३...... संजमसुंदरीगीत ....... मध्यम ... राजसमुद्र ............... ३५१.........गोडिचास्तवन ....... .... मध्यम ... जिनसुंदरसूरि ......र. १७३ ........... वेगडगच्छीय ३५२ ........ चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र.. मध्यम .................... ३५३........ औपपातिकोपांगसूत्र ................. श्रेष्ठ................................ ३५४ ...... औपपातिकोपांगसूत्रवृत्ति ............. श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि ............ . ३५५ ....... गणधरसार्द्धशतकप्रकरण............... श्रेष्ठ ..... जिनदत्तसूरि ............. प्रा. |३५६/१... पष्टिशतप्रकरण सस्तबक ............ श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्र भंडारी ......... प्रा. गु ३५६/२ ....... महर्षिकुलक (लुद्धा नरा०) .............. श्रेष्ठ .................................. प्रा.. ३५७ पुष्पमालाप्रकरण ....... श्रेष्ठ ..... मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा. ३५८....... प्रश्नोत्तररत्नमाला बालावबोधसह ......मध्यम ... विमलाचार्य -मू.........सं. ] चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक ............ श्रेष्ठ ..... वीरभद्रगणि-मू......... प्रा. गु वैद्यमनोत्सव .............................मध्यम ... नयनसुख ............... हिन्दी सूत्रकृतांगसूत्रगत आर्द्रकीय आदि अध्ययन.................. ३६२..... चतुःशरणप्रकीर्णक ........... मध्यम ... वीरभद्रगणि बुद्धिरास ......................... शालिभद्रसूरि जंबूस्वामिरास ............... श्रेष्ठ ..... रत्नसिंहसूरि शिष्य ... गुज...र. १५१६-१५४१ ललितांगकुमाररास ............... श्रेष्ठ..... क्षमाकलश ............ गुज...र. १५५३-१६४५ | उपदेशरत्नकोश सस्तबक प्रा.गू रत्नचूडरास ......... गुज. कलिकालरास ......... श्रेष्ठ ..... हीरानंदमुनि पिष्पलगच्छीय गुज........... र.१४२६ सुंदरशृंगार .. मध्यम.. हिन्दी ........... १७५३ रघुवंशमहाकाव्यटीका .. ................. गुणरलगणि .सं.र.१६६७ ले.१६८३ ३७१...... उत्तराध्ययनसूत्र रास्तबक ...............मध्यम ... प्रा.गु............१७११.. शीलोपदेशमाला शीलतरंगिणीवृत्तिसह श्रेष्ठ, सोमतिलकसूरि -यू... Jटक अपूर्ण रुद्रपल्लीय ...... ३५२+५३ .............२००० ...... ३५२ +५३ ...२६८....११६७ ..... ३५४+५५...२६८....३१३५ ... ३५४+ ५५... २६९/ ३५६ थी ६० ....... गा.१६१ .. ३५६ थी ६०. ........गा.२० |....३५६ थी ६०. +गा.५०८ ....३५६ मू.आ.२९ |....३५६ ........गा.६३ ....३५६ थी ६०..............६०० ...मध्य म ...-...--- ३६३ ..... ११/....३६१ थी ६५ ....३६१ थी ५. --...३६१ थी ६५. ...९०७गा.५७ .७/-. ३६१ थी ३६५ ...८.. ३६१ थी ३६५... गा.२१९ ....२... ३६६ थी ३६९. 4...गा.२५ |.. ३६६ थी ३६९ .....-. गा.३४३ ३६५....... ३६६...... ३६७ ...... .............१८ ..............२ ३६६ ३६६ १२४ गा.४७ गा.३५३ पत्र ८, ९, १२ नथी. ...६०७०-पत्र ६ थी २७ नथी. -पत्र ३५ मुं नथी. पत्र ३४, ३७ तथा ७७ थी १०७ नथी. ......३४-१३० १८-७७ lain ducato International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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