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________________ १८९....... |... १९३ थी जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक 1 ग्रंथर्नु नाम | स्थिति । कर्ता भाषा संवत् पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान। विशेष नोंध आवश्यकनियुक्ति ....................... --मध्यम ... भद्रबाहुस्वामी प्रा.............. १५५५ । ...............५९ .. १८९ थी १९२...२३९ कालिकाचार्यकथा गाथाबद्ध ............मध्यम ... भावदेवसूरि ...... ............४.. १८९ थी १९२...२३९. गा.१०६ कर्पूरमंजरीनाटिका टिप्पणीसह पंचपाठ अपूर्ण ................ .....मध्यम ... राजशेखर कवि ......... ............... १६ .. १८९ थी १९२ ...२३९ अध्यात्मकल्पद्रुम तथा .. मध्यम ... मुनिसुन्दरसूरि, .. १८९ थी १९२...२३९. का.२७८ अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका ............ ............ हेमचन्द्राचार्य अद्वा. १९३..... कर्पूरप्रकर ........ मध्यम ... हरिकवि .......... १९८...२३९/.....३४५ आ प्रति पाणीमां भीजायेल छ, । १९४/१.... गणधरसार्द्धशतकप्रकरण........... मध्यम ... जिनदत्तसूरि .... .. १९३ १९८...२६५ गा.१५० १९४/२ ...... पंचनमस्कारफलस्तव .. मध्यम ... जिनचन्द्रसूरि .. १९३ थी १९८...२६५. गा.११८ १९४/३ ..... नाणाचित्तप्रकरण मध्यम ... .. १९३ थी १९८ ...२६५/... गा.८१ १९४/४ ..... कथानककोश ............... मध्यम ...जिनेश्वरसूरि. .. १९३ थी १९८ ...२६५/... गा.३० १९४/५ .... व्यवस्थाकुलक. मध्यम ... जिनदत्तसूरि 1.२६५/... गा.७५ १९४/६ ..... पष्टिशतप्रकरण... मध्यम ... नेमिचंद्र भंडारी .. १९३ थी १९८...२६५). गा.१६१ १९४/७ ... विवेकमंजरीप्रकरण. मध्यम ... आसड कवि. .....र. १२४८ 1.. १९३ थी १९८ ...२६५. गा.१४४ भावशतक जीर्णप्राय नागराज ... -- १९३ थी १९८ ...२६५. का.१०४ कर्मस्तव द्वितीयकर्मग्रंथ. ........... श्रेष्ठ..... देवेन्द्रसूरि .. .. १९३ थी १९८ ...........गा.३४ कर्मग्रंथचतुष्क ........... ........... जीर्णप्राय देवेन्द्रसूरि ....६ ... १९३ थी १९८ नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि पंचपाठ .......जीर्णप्राय ....... ........... १५३८ ..४.. १९३ थी १९८ ...२६५,... गा.२७ आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ................ मध्यम ...तिलकाचार्य |.... १९९ (१.२)...२६६ . प्रथम पत्रना टुकडा छे. नैषधमहाकाव्य अपूर्ण ................ जीर्ण ... श्रीहर्ष .. ३६ -- २०० थी २०३ आ प्रति पाणीमां भीजायेली छे. उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि पंचपाठ .. अपूर्ण ....धर्मदास गणि -मू....... प्रा.सं. ........... १४४८ ५४ .. २०० थी २०३ ......गा.५४३, पत्र २.९,१०,३०,३१,५१.५४ नथी. संग्रहणीप्रकरण सटीक अपूर्ण ........... -- श्रेष्ठ .....श्रीचन्द्रसूरि -मू.. .. २०० थी २०३ ........... देवभद्रसूरि -वृ. २०३....... सप्तपदार्थीटीका ................... जीर्णप्रायः ... १५४६ द्वादशकुलक. अतिजीर्ण जिनवल्लभसूरि ......... .१६३१ ............. चोटेली छे. योगशास्त्रविवरण ...... जीर्णप्रयः हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ ... २-३०... २०५ थी २१०...२६६ | लघुसंधपट्टकप्रकरण. मध्यम... जिनवल्लभगणि ....... ............३ .. २०५ थी २०...२६६...का.४० सिंदूरकर ...... जीर्ण.... सोमप्रभाचार्य ...... ..........१०.. २०५ थी २१०...२६६/...का.९८ पत्र ९ मुं नथी. ......... १९५ ..... २०४ .... २०५.... Jain Education International For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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