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________________ आगळ विशेष कहेवाशे. जेसलमेरना आ भव्य मंदिरोनो विस्तृत महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक परिचय स्व. श्रीयुत् पूर्णचन्द्रजी नहारे तेमना "जैनलेखसंग्रह जेसलमेर भाग ३"मां आप्यो छे, एटले अहीं प्रसंगवश ज मा मंदिरोनो मात्र अमुक लक्षथी ज ढूंक उल्लेख करवामां आवे छे. मंदिरोमां केवी कळानुं सर्जन करवामां आव्यु छे तेनुं दिग्दर्शन उपरोक्त नहार बाबुजीना पुस्तकने आधारे थई शकशे. तेम छतां मा मंदिरो पैकी अष्टापदजी चिंतामणिपार्श्वनाथ अने आदीश्वर भगवानना मंदिरमां, खास करीने मूळ मंदिरनी प्रदक्षिणामां पडती त्रणे बाजुनी भींतोमां अने ते उपरांत मंदिरनां तोरणो, कमानो अने गुंबज मादिमा जे देव-देवीओ वगेरेनां तेमज नृत्यकळानी विविध भंगीओ, अंगभंगो अने मुद्रामोने दर्शावतां रूपो घडवामां आव्यां छे ए, शिल्प-स्थापत्यकळा अने नृत्यकळा विशारदने माटे एमनी कळामां प्राण पूरी शके एवी रसप्रद वस्तु छे, आ पंक्तिओ वांचनारने प्रथम नजरे जरूर मामां मतिशयोक्तिनो भास थशे, छतां हुं माशा राखुं छु के आ कळाकृतिओने नजरे जोया पछी अथवा एनी प्रतिकृति (फोटोग्राफ्स) जोया पछी एमनो ए ख्याल जरूर दूर थई जशे. आ विशिष्ट भने दैवी कलापूर्ण रूपो जोतां आपणने एम जरूर लागे छे के ए रूपोना घडवैया शिल्पीओने आ अंगे घणुं ऊंडु ज्ञान हशे अने तेमो सिद्धहस्त हशे. आ रूपो पैकी केटलांक रूपो तो आपणने एवां जीवतां जागतां भासे छे के जाणे हमणां ज बोली के हसी ऊठशे ! अमरसागरनां जैन मंदिरो जेसलमेरथी पांच माईलना अंतरे आवेला अमरसागरमां जेसलमेरना बाफणा कुटुंबे बंधावेला मंदिरनी बहारनी विशाळ जाळी अने अन्दरनो भाग ए बेमा जे नकशी छे ए, आपणने अमदावादनी मसजीदो अने हठीभाईनी वाडीना मंदिरनी नकशीमोने घडीभर भुलावी दे तेवी छे. जेसलमेरथी दसेक माईलना अंतर उपर आवेलं लोदवाजीनुं मंदिर पण प्राचीन अने भव्यरचनापूर्ण छे.' अनवरत साहित्यसंशोधक गुरुवर्य श्री चतुरविजयजी महाराज अने अनेक ग्रन्थभंडारोना उद्धारक विद्योपासक प्रगुरु प्रवर्तक श्री कान्तिविजयजी महाराज साहेबनी निश्रामां प्राचीन ग्रंथोना संशोधनकार्यमा अने प्राचीन ज्ञानभंडारोना संरक्षणादि कार्यमा बाळपणथी न जोवा-शीखवा अने तैयार थवानुं सौभाग्य आगमप्रभाकरजी मुनिराज श्री पुण्यविजयजीने प्राप्त थयेलं. ज्यारथी विद्वदर श्री सी. डी. दलाल द्वारा संपादित जेसलमेरना ज्ञानभंडारनी सूचि जोई त्यारथी ज जेसलमेरना ज्ञानभंडारोनुं निरीक्षण-संशोधनादि कार्य करवानुं बीज पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीना १. भहीं सुधीनी प्रस्ताबनानुं प्राथमिक रीते तैयार करेलु मेटर पूज्यपाद आगमप्रभाकरजी श्रुत-शीलबारिधि विद्वरेण्य मुनिप्रवर श्री पुण्यविजयजी महाराज साहेबे लखेलं मळी आम्युं छे जे यथावत् आप्युके. हवे पछीको प्रस्तावनानो कोईक भाग पू. पा. आगमप्रभाकरजोनी टी-छवाई नौधोना आधारे तथा शेष मुद्रित सूचीपत्रमाथी स्वतंत्र रीते तारवीने आपवामां आग्यो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018005
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jesalmer Collection
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages522
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size10 MB
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