SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डतामुक्ता ४५१, पृ. ४, चैत्यवन्दन गाथार्थ, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो वन्दनकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, ग्रं.७०७, आदि वाक्यः सुयसागरपारगए अणुओगधरेऽभिवन्दिय मुणिन्दे । पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. २, पृ. ?, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान* (चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यानभाष्य) प्रा., पातासंघवी १६६- पे.क्र. १, पृ. १-५, चैत्यवन्दन आदि, संपूर्ण पे. नाम- चैत्यवन्दनक प्रत विशेष- प्रारंभना १-८ पत्र बढते पत्ररूपे लीधा छे. (८+१९४) डीवीडी-३६/५४ चैत्यवन्दना वन्दनक प्रत्याख्यान-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं.५५०, आदि वाक्यः श्रीवीरजिनवरेन्द्रं वन्दित्वा चैत्यवन्दनादीनि... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. १, पृ. १-५०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १८९-१- पे.क्र. १, पृ. १-५८, चैत्यवन्दना-वन्दनक-प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-(प्रा.)चूर्णि आचार्य-यशोदेवसूरि, प्रा., गद्य, गा.३२९, ग्रं.४००, आदि वाक्यः तवझाणानलनिद्दड्ढदुट्ठकम्मिन्धणं जिणं नमिउं।... पातासंघवी १३८-२- पे.क्र. ३, पृ.?, चैत्यवन्दन-वन्दनक-प्रत्याख्यानचूर्णि, वि-१४१४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३५/५३ आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, ग्रं.५५०, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५९, पृ. १७९-१८४, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ प्रत्याख्यानभाष्य-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०४३७, पृ. ३, प्रत्याख्यानभाष्य अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५ प्रत्याख्यानपदपर्यायमञ्जरी आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम ६९४४- पे.क्र.३, पृ. ?, चैत्यवन्दनपदपर्यायमञ्जरी त्रुटक आदि, वि-१५०१, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ आवश्यकसूत्र जुओ - श्रावकषडावश्यकसूत्र, प्राकृत,संस्कृत आवश्यकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, ग्रं.१८०००, आदि वाक्यः (१) काऊण नमोक्कारं तिथयराणं तिलोयम(२) नमो अरहन्ताणं।... काऊण नमोक्काहियाणं।... कृ.विः नियुक्ति ऊपर पण. पातासंघवी २४, पृ. ४०३, आवश्यकचूर्णि, वि-१३७७, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावक अंबडनी खरीदेली. गायकवाड केटलॉगमां लेखन संवत १३६७. डीवीडी-२३/४२ 77
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy