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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६११४, पृ. ४, सूक्तावली, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- का.१५५. सूक्तावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. १, पृ. १-४, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण पे. विशेष- मूल सं., गाथा-३२. कुल झे.पृष्ठ-३ सूक्ष्मविचारसार जुओ - सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१६४ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण (सार्धशतकप्रकरण), (सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धारप्रकरण), (सूक्ष्मविचारसार) गणि-जिनवल्लभ, प्रा., पद्य, गा.१६४, आदि वाक्यः (१) सयलन्तरायवीरं वन्दिय वरणाणलोयणं वीरं।...(२) सयलन्तरारि वीरं वन्दिय... कृ.विः गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमां मळे छे. पाताखेत २३- पे.क्र. ३, पृ. २३४-२४७, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ३६- पे.क्र. १४, पृ. १७४-१८६, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२३. प्रत विशेष- सूचीपत्र में पेटांक १८ का उल्लेख नहीं है. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ४२- पे.क्र. ५, पृ. ???, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५८. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५०- पे.क्र. ९, पृ. १२७-१३८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५३. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४५-पे.क्र.८, पृ. ९०-१०१, सङ्ग्रहणी आदि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-जीर्ण-नकामी. डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. २०, पृ.?, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण गाथा-९ तक है. झेरोक्ष पत्र-७३-७४. इसका उल्लेख सूचीपत्र में नहीं हैं. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १४, पृ. १२३-१३३-, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं हैं. झेरोक्ष पत्र-४७-५२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ७१-३- पे.क्र. ४, पृ. ४०-६३, जीवविचार आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५५. डीवीडी-३१/५० 846
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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