SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 845
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, ग्रं.३२००, पाकाहेम ६६०९, पृ. ६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-चतुष्कवृत्ति अवचूरिढुण्ढिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम १०३९७, पृ. ५१, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्तिअवचूर्णिका तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्ति अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम १०३९७, पृ. ५१, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्तिअवचूर्णिका तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्ति अवचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि पं.-धनचन्द्र, सं., गद्य, पातासंघवी १७३-१, पृ. ८०, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरिका, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-८०+६२. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं १३१, पृ. १६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअवचूरी सह, वि-१४०३, संपूर्ण प्रत विशेष- तृतीय अध्याय द्वितीयपाद पर्यंत अवचूरि. डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि (दुर्गपदवृत्ति) सं., गद्य, आदि वाक्यः सर्वज्ञं सर्वदेवायँ प्रणम्य विवृणोम्यहं... कृ.विः जयानन्दसूरिशिष्य अमरचन्द्रकृत? रचना संवत-१२६४? पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. १, पृ. १५७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ५५- पे.क्र. २, पृ. ९१, हैमलघुवृत्ति चतुष्क अवचूरि आदि, संपूर्ण पे. नाम- हैमलघुवृत्ति आख्यात अवचूरि डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७५, पृ. १२०, सिद्धहेमलघुवृत्तिअवचूरि, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक-अपूर्ण-जीर्ण. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ७२-१, पृ. २०६, सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरि प्रथमाध्यायथी बीजा अध्यायना तृतीय पाद सुधी, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्तिनी (सं.)अवचूरि ढुण्ढिका (दुण्ढिका अवचूरि) सं., गद्य, ग्रं.३२००, पाकाहेम ६६०९, पृ. ६६, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति-चतुष्कवृत्ति अवचूरिढुण्ढिका, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र (हैम उणादिगण), (सिद्धहेम उणादिगण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, पातासंघवी ४९- पे.क्र. ३, पृ. ?, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ 828
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy