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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ६६०३, पृ. १७४, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति पञ्चमाध्याय चतुर्थपादपर्यन्त, वि-१५मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७४ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सक्षेप-(सं.)कक्षापट वृत्ति (कक्षापट वृत्ति), (बृहद्वृत्तिसारोद्धार), (सिद्धहेमबृहद्वृत्तिसारोद्धार) सं., गद्य, पाकाहेम ७१७७, पृ. ४१, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्तिसारोद्धार-कक्षापटवृत्ति, वि-१५२१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास (न्याससारसमुद्धार), (दुर्गपदव्याख्या). (लघुन्यास) आचार्य-कनकप्रभसूरि, सं., गद्य, पाकाहेम २१६१, पृ. १२८, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्याय द्वितीयपादपर्यन्त चतुष्कवृत्तिन्यास, वि १६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२०-१२४ नथी. कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम १०१९६, पृ. ७२, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीयाध्यायद्वितीयपादपर्यन्त, वि-१५२७, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७३ पाकाहेम १०३८०, पृ. ५२, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास तृतीयाध्याय द्वितीयपादपर्यन्त-चतुष्कवृत्तिलघुन्यास, वि-१५०९, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-४८१६. कुल झे.पृष्ठ-५३ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिना लघुन्यासनो लघुन्याससक्षेप (लघुन्याससक्षेप) सं., गद्य, पाकाहेम २१६२, पृ. ५३, सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुन्यास तृतीय अध्यायना प्रथमपाद पर्यन्त, वि-१४४१, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र६३ मुं डबल. धर्मविजये, रामविजये राजनगरना भण्डारमा मुकेली प्रति. ___ कुल झे.पृष्ठ-३८ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाताहेसं १२८, पृ. २६८, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति-अध्याय २ पाद २ पर्यन्त टिप्पणी सह, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉग अध्याय १ थी ३, पाद-२ पर्यन्त-एम लखेल छे. डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १२९, पृ. २१०, सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति अध्याय २ पाद ३ थी अध्याय ३ पाद २ पर्यन्त टीप्पणी सह, प्रतिपूर्ण डीवीडी-८/१७ सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्ति आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३००, आदि वाक्यः (१) प्रणम्य परमात्मानं श्रेयः शब्दानुशासनम्।..(२) अहँ ।।... पाताखेत ५४-२, पृ. २३१, हैमशब्दानुशासनलघुवृत्ति-अध्याय १-५, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- अङ्क १-२. डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ७०-४, पृ. १४४, हैमआख्यातलघुवृत्ति पञ्चमाध्याय-चतुर्थ पाद, संपूर्ण डीवीडी-३१/४९ पातासंघवी ७९-२, पृ. १३७, हैमलघुवृत्ति चतुष्क, प्रतिपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी ८२-२, पृ. १४०, सिद्धहेमलघुवृत्ति आख्यात, प्रतिपूर्ण 816
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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