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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहे १६८- पे.क्र. ३९ पृ. ७७-७८आ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि संपूर्ण पे. नाम सम्यक्त्व, पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-४५-४८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ - ७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ पे. क्र. ३५. पू. १४१३-१४१B, दशवैकालिकसुत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- सप्तषष्टि सम्यक्त्व भेदाः, पे. विशेष- गाथा - १६. प्रत विशेष- त्रुटक, कुल पत्र-४५+१५९-२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी - १०/१९ पाकाहेम ४७३२, पृ. ५. सम्यक्त्वस्तवकुलक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ सम्यक्त्वकुलक जुओ सम्यक्त्वपञ्चविंशतिका, प्राकृत, गा.२५ सम्यक्त्वगाथा - प्रा. पच, आदि वाक्यः एगविहाई दसविहं समतन्ति... भांता ७०- पे.क्र. ८६, पृ. ११०A - १११A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२ - १ = २५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका, सम्यक्त्वदेशनागाथा कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ सम्यक्त्वचतुष्पदिका जुओ सम्यक्त्व चोपई, उपाध्याय यशोविजयजी गणि, मारुगूर्जर, गा. १२५ सम्यक्त्वदण्डक प्रा. आदि वाक्यः अहं भन्ते तुम्हाणं समीवे मिच्छत्ताओ पडिवकमामि सम्मत्तं उवसम्पज्जामि तं जहा.... कृ.वि: अंतिमवाक्य-बलाभयोगेणं देवयाभिओगेणं गुरुनिग्गहेणं चित्तीकंवारेण वोसिरामि भांता ७०- पे क्र. ३८, पृ. ४५B-४६A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२ - १=२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५० २५२० उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ . - - - प्रा. सं., पद्य, आदि वाक्यः सम्मत्तदायगाणं पुप्पडियारम्भवेसु वहुए ... भांता ७०- पे क्र. ४०, पृ. ४६-४७A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण - - पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३६४. सम्यक्त्वद्वादशवतातिचार ( द्वादशव्रतातिचार ) प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ सम्यक्त्व पञ्चविंशतिका (सम्यक्त्वकुलक), (सम्यक्त्वस्तव) 791 सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीवीरं देशकं नत्वा यतिश्रावकधर्मयो.... भांता ७०- पे.क्र. ८५, पृ. १०७B- ११०A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. ३ - १५. पत्र - २५२+२-१ = २५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल - ४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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