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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ३, पृ. ७-८, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० संसारनिस्तारक गुरुगुण श्लोक सं., पद्य, श्लोकर, आदि वाक्यः त्रित्रेधाव्रतषट्कपालनपरः.. भांता ७२- पे.क्र. १०, पृ. ६९B-७०A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- सूचिपत्र नं.-१३६५. , सूचिपत्र नं.-१२९०. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ संसारभावनाकुलक प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः संसारम्मि असारे... पाताहेसं १६८- पे.क्र. २७, पृ. ५२अ-५४अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-२९. झेरोक्ष पेज-३७-३९. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. __कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३२, पृ. २१६-२१७, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२६. कुल झे.पृष्ठ-३१ संस्तारकप्रकीर्णक (सन्थारगपयन्नो) प्रा., पद्य, गा.१२४, आदि वाक्यः काऊण नमोक्कारं जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १८, पृ. ११७A-२०९A, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- संथारा प्रकीर्णक, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१२०. झेरोक्ष पत्र-२५, ६१-६२ व ६५-६६. पत्रांक ६५ पर आरंभ एवं २५ पर पूर्ण हुई है. पत्रांक उलटे क्रम में है. प्रतिलेखक की भूल से गाथा ५६ की जगह ६६ लिखा गया है. सूचिपत्र में इस कृति का उल्लेखनहीं है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ६५- पे.क्र.४, पृ.?, चउसरणप्रकरण आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-१२२. प्रत विशेष- अति जीर्ण-त्रुटक. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १६८ - पे.क्र. ९, पृ. १००-१०३, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१२१. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी २०२- पे.क्र.८, पृ. २०८-२२०, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र.६, पृ. ६७-७३, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२४. पत्र १८ (७८?)मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र.४, पृ. ९२-९९, चउसरण आदि, संपूर्ण 761
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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