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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) श्रीमद्वीरजिनं नत्वा हरिभद्रगुरुस्तथा...( २ ) सत् शोमनं दर्शनं शासन सामान्यावबोधलक्षणं ज्ञानं..... भांका १०७ पृ.४ षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि वि- १५१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र - २५०. शुद्ध प्रति. कुल झे. पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका १९५- पे क्र. १, पृ. ९ षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४ संपूर्ण पे. नाम षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि पे विशेष अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है. कुल झे. पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.) लघुटीका सं. गद्य, पाकाहेम १९५२, पृ. १७ षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १८ षड्दर्शनसमुच्चय- (सं.) लघुवृत्ति (लघुवृत्ति) आचार्य सोमतिलकसूर ( रुद्रपल्लीय), सं. गद्य ग्रं. १२५२ आदि वाक्यः सज्ज्ञानदर्पणतले विमलेत्र यस्य .... " भांका २८६- पे क्र. २, पृ. ४२ दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका, " संपूर्ण षड्दर्शनस्वरूप A.. पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का पाठ क्रमशः मिलता है. कुल झे. पृष्ठ-४२, डीवीडी- ९१ पाकाहेम ८८०५- पे.क्र. १, पृ. १-२, षड्दर्शनस्वरूप आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ षड्भाषागर्भित ऋषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व, महावीर पञ्चक स्तोत्र जुओ आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर जिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, का. ३० षड्भाषामय नेमिनाथस्तोत्र जुओ नेमिनाथस्तोत्र षद्भाषामय, आचार्य रत्नप्रभसूरि प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, श्लोक १७ षड्भाषामय पार्श्वनाथस्तव जुओ पार्श्वनाथस्तव षड्भाषामय मुनि-धर्मवर्धन, संस्कृत षड्‌भाषामयऋषभस्तोत्र ( ऋषभस्तोत्र षमाषामय) - सं., प्रा., अप, पद्य, का. ४०, पाकाहेम ८२२८, पृ. १, षड्भाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २ षड्भाषामयऋषभस्तोत्र (सं.) अवचूरि A.. " गद्य, पाकाहेम ८२२८, पृ. १, षड्भाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ षड्भाषामयऋषभस्तोत्र-(सं.) अवचूरि सं. गद्य, पाकाहेम ८२२८, पृ.१ षमाषामयऋषभस्तोत्र सावचूरि पञ्चपाठ वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ षड्भाषामयस्तवनपञ्चक जुओ - आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपञ्चक षड्भाषामय स्तवनपञ्चक, प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, का. ३० षड्विध प्रवचनकौशल प्रा., पद्य, गा. ९, आदि वाक्यः कयवयकम्मयभावो.... पातासंघवी १६०१ पे. क्र. ६. पू. ८५-८६ सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण 754
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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