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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ श्रावकवर्णन प्रा., आदि वाक्यः अहिगय जीवाजीवे उवलद्ध पुन्नपावे... भांता ७०- पे.क्र. ८१, पृ. १०५A-१०५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ श्रावकवर्षाभिग्रह प्रा., आदि वाक्यः वर्षा चतुर्मासकाभिग्रहा यथा वारचतुष्टयं चैत्यवन्दना दिनमद्ये कार्या... पातासंघवी १८५-२- पे.क्र.६, पृ. २२१-२२४, ओघनियुक्ति आदि, वि-१३०९, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३८, पृ. ५०-५१, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ श्रावकविधि भांता २४- पे.क्र. ४, पृ. ६७A-७०A, उपदेशमालाप्रकरण आदि, पूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-२३३. डीवीडी-६८/७७ श्रावकविधिकुलक आचार्य-जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः वीरजिणिन्दह पयकमलु पणामिउ परमपवित्तु... पाताखेत ५- पे.क्र. १६, पृ. १८१-१८५, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५- पे.क्र. २०, पृ. २१६-२१९, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटित. प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ६- पे.क्र.८, पृ. ९९-१०२, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकविधिप्रकरण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे.पृष्ठ-११०, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३८, पृ. २५४-२५६, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- श्रावकविधिप्रकरण प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ श्रावकविधिकुलक प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः निसाविरामे परिभावयामि... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३३, पृ. २१७-२१८, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. कुल झे.पृष्ठ-३१ श्रावकविधिकुलक जुओ - श्रावकविधिप्रकरण, कवि-धनपाल, प्राकृत, गा.२२ 737
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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