SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 747
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. २३, पृ. १६८-१७०, चउसरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ पाताहेसं १११- पे.क्र. १०, पृ. १९२-१९६, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- कुलक, पे. विशेष- गाथा-२२. प्रत विशेष- पत्रांक १७६-१७९ का झेरोक्ष पत्रांक-१९६ के बाद है. कुल झे.पृष्ठ-५८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. ३५, पृ. २४९-२५१, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. नाम- भावनाकुलक, पे. विशेष- गाथा-२२. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ३७, पृ. ७४अ-७६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- भावनाकुलक, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४५-४६. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. २०, पृ. १०६०-१०७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- स्वजीवानुशासनकुलं प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम ७७५- पे.क्र.५, पृ. २३-२४, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२१. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ९, पृ. २९-३०, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ७७९८- पे.क्र. २, पृ.?, श्रावकविधिप्रकरण तथा भावनाकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२२. कुल झे.पृष्ठ-२ श्रावकधर्मप्रकरण आचार्य-जिनेश्वरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३१३, का.२४५, ग्रं.२५०, आदि वाक्यः भेजुर्यस्यांह्रियुग्मं पथि मथितरिपोर्जातरूपस्य यातः... पाकाहेम ६५८८, पृ. २४०, श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४० श्रावकधर्मविधिप्रकरण-(सं.)वृत्ति मुनि-लक्ष्मीतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१७, ग्रं.१५३३१, प्रह्लादनपुर, पाकाहेम ६५८८, पृ. २४०, श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४० श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण (दर्शनसप्ततिका), (दर्शनसत्तरी) आचार्य-हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२०, आदि वाक्यः नमिऊण वद्धमाणं सावगधम्म समासओ वोच्छं... पातासंघवी १५६-१- पे.क्र. ९, पृ. ११८-१२८, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९८-२- पे.क्र. १, पृ. १-८, श्रावकधर्मविधिप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर आपेलो नथी., गाथा ७८ थी १२० सुधी नथी. डीवीडी-३८/५५ 730
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy