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________________ शनैश्वरस्तुति स्कन्दपुराणगत शबरीभा प्रा.. पातासंघवी १८०-२- पे. क्र. ४, पृ. ५८मुं, त्रिभुवनसार योगशास्त्र प्रकाशत्रण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५८मां संपूर्ण थाय छे. पण आद्य भाग नथी... डीवीडी-३६/५४ जैनेतर दशरथ राजा, सं., पद्य, पाकाहेम ८२५९ पृ. २ शनैश्वरस्तुति स्कन्दपुराणगत, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ मारुगुर्जर, पद्य, गा. १५, पाकाहेम १२१२४- पे क्र. ४३, पृ. १३५-१३७ प्रकरणसङ्ग्रह आदि वि-१५मी संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र २३मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- ८१ कृति उपरथी प्रत माहिती शब्दपीद्गलिकत्वसिद्धिवादस्थल सं.. पाकाहेम ८७९५- पे.क्र. २ पृ. १ सर्वज्ञत्वसिद्धिवादस्थल आदि वि-१६९८. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ शब्दप्रभेद जुओ शब्दभेदप्रकाश नाममाला, कवि महेश्वर, संस्कृत श्लोक १९२ शब्दप्रभेदनाममाला जुओ शब्दरत्नाकर शब्दप्रभेदनाममाला, उपाध्याय साधुसुन्दरगणि, संस्कृत शब्दप्रामाण्यवादस्थल शब्दब्रह्मोल्लास - सं. गद्य, आदि वाक्यः एतेन यत्कैश्चित् शब्दस्य बहिरर्थं प्रतिप्रामाण्यमपाक्रियते .... पाकाहेम ८८१३- पे.क्र. १, पृ. १A - १B, शब्दप्रामाण्यवादस्थलादि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २ शब्दभेदप्रकाश नाममाला (शब्दप्रभेद) आचार्य-उदयप्रभसूरि, गुरु आचार्य माणिक्यप्रभसूरि, सं., आदि वाक्यः ॐ नमः सकलाध्यात्मतत्त्वत्वाचे परात्मने... पाताखेत ३४-१- पे.क्र. १, पृ. १आ-१४आ-, आरम्भसिद्धि, शब्दब्रह्मोल्लास, चउशरण, संपूर्ण पे. विशेष अपूर्ण श्लोक-४९ सुधी छे पत्र- १४ नो झेरोक्ष झे. पत्र- २१-२२ उपर उपलब्ध छे. प्रत विशेष- पत्र - १४+१२० = १३४. चउशरण पयन्ना नथी. कुल झे. पृष्ठ- २२, डीवीडी-६२/६४ · कवि-महेश्वर, सं., पद्य, श्लोक १९२, आदि वाक्यः प्रबोधमाधातुमशाब्दिकानां कृपामुपेत्यापि सतां कवीनाम् । .... अताका ४७७ पे.क्र. ५. पृ. १७३B-१८४, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि नाममालाओ (भाग-२) संपूर्ण पे. विशेष- अन्त के पाठ अनुपलब्ध है. प्रत विशेष पृष्ठ माहिती नथी. पत्रों को क्रमबद्ध किये बिना ही झेरोक्ष किया हुआ था अतः पाठानुसन्धान व उपलब्ध पत्रों को क्रम में करने हेतु झेरोक्ष पत्रांक सुधारा गया है. कुल झे. पृष्ठ-६५, डीवीडी - १०३/१०४ पाकाहेम ८७४८, पृ. ४, शब्दभेद प्रकाश, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ४ पाकाहेम ९५७८, पृ. ७३, शब्दप्रभेद वृत्तिसहित, वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-७३ पुणे ४३०, पृ. २३६ शब्दभेदप्रकाश सह टीका, संपूर्ण " कुल झे. पृष्ठ- २३५ शब्दभेदप्रकाश नाममाला- (सं.) वृत्ति 709
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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