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________________ वृत्तरत्नाकर (सं.) टीका जैनेतर सोमचन्द्र, सं., गद्य, पाकाहेम १३४९६ पृ. २१ वृत्तरत्नाकर सटीक, वि-१७७८, संपूर्ण वृत्तरत्नाकर - (सं.) वृत्ति जैनेतर श्रीकण्ठ पण्डित, सं., गद्य, पातासंघवी ५६-३- पे.क्र. १. पू. १-४८ वृत्तरत्नाकरवृत्ति आदि संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी - २९/४८ कृति उपरथी प्रत माहिती वृत्तरत्नाकर - ( सं .) सुकविह्रदयानन्दिनी टीका (सुकविह्रदयानन्दिनी टीका) जैन श्रावक- सोलण, सं., गद्य, पाकाहेम १०३८४, पृ. २७ वृत्तरत्नाकर वृत्तिसहित, वि-१५२८, संपूर्ण प्रत विशेष - वृत्तिनुं नाम सुकविहृदयानन्दिनी छे. कुल झे. पृष्ठ- २८ वृद्धचतुःशरण जुओ चतुःशरणप्रकीर्णक, गणि वीरभद्र, प्राकृत, गा.६३ वृद्धचाणक्य- राजनीतिशास्त्र (बृहत् चाणक्य राजनीतिशास्त्र ) ( चाणक्य राजनीतिशास्त्र) (बृहच्चाणक्य राजनीतिशास्त्र), (राजनीतिशास्त्र) सं.. पाकाहेम २७२५, पृ. ६. बृहच्चाणक्य वि-१७मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम २७२६- पे.क्र. २, पृ. २-५, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८ पाकाहेम १३६२१ पृ. ७ वृद्धचाणाक्यराजनीति, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ वृन्दावनमहाकाव्य कवि मानाङ्क, सं., पद्य, का. ५२, आदि वाक्यः वरदाय नमो हारये पतति जनोऽयं स्मरन्नपि न मोहरये ।.... पाकाहेम ६६२३- पे.क्र. ४, पृ. ?, विक्रमाङ्ककाव्य आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३६-३७ भेगां छे.. कुल झे. पृष्ठ-४४ वैजनाथ - वृश्चिकोत्तारणादिमन्त्रसङ्ग्रह सं., गद्य, पाकाहेम ८९१८ पृ. १ वृश्चिकोत्तारणादिमन्त्रसङ्ग्रह, वि-१७वी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ वेदपुराणोक्त ऋषभादिजिनोल्लेख सन्दर्भश्लोक सं., गद्य, आदि वाक्यः ॐ ऋषभं पवित्रं पुरुहूतमध्वरं ... भांका २८३ पृ. ५, वेदपुराणमध्ये जैनशास्त्रश्लोक, वि-२०वी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४, डीवीडी- ९० वेदाङ्कुश जुओ - द्विजवदनचपेटा-वेदाङ्कुश, आचार्य हरिभद्रसूरि, संस्कृत वैक्रिय वादिप्रमाण (चतुर्विंशतितीर्थकर मुनिसम्पदाप्रमाण) प्रा., गद्य, आदि वाक्यः श्रीउसभ १ वेउव्विय १०६०० वादीत.... भांता ७० पे. क्र. १३४, पृ. १८५७-१८६B, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क- १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी-७२/८२ 689
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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