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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं., गद्य, आदि वाक्यः देशस्य त्रसकायस्य एकदेशः सङ्कल्पजनिवृत्तिरूपस्तस्यापि सापराधनिर (तं) परार्थ(ध) त्वेन नहीं (द्वि) प्रकारत्वात् । .... बताकांति ४०२ पे क्र. १ पृ. १२३ आतुरप्रत्याख्यान विवरण व प्रदेशीनृपचरित, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक का विवरण डीवीडी - २७/९८ भांका १९२ पे.क्र. २, पृ. ५B-९B, चतुःशरणविषमपद विवरण आदि संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९७. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८४, १-२९७ १-३०८, १-३२२. डीवीडी-८७ भांका ३०१ पे. क्र. २. पृ. ४BUA, आतुरप्रत्याख्यान विवरण आदि अपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-२९६. प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२८३ १२९६ १-३०७, १-३२१. डीवीडी- ९२ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (सं.) टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे क्र. २, पृ. २० चतुःशरण आतुरप्रत्याख्यान भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.) टीका कुल झे. पृष्ठ- २१ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (मा.गु.) बालावबोध " आचार्य-समरचन्द्रसूरि [पार्श्वचन्द्रीय], मारुगुर्जर, गद्य ग्रं. १६०८. पाकाहेम १०५१५, पृ. १५, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बालावबोधवार्तिकसह, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १५ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (सं.) अवचूरि आचार्य-भुवनतुङ्गसूरि (महेन्द्रसूरिशिष, सं., पद्य, श्लोक८५०, आदि वाक्यः नत्वा वीरजिनं वक्ष्ये मुग्धोपि स्वगुरोर्मुखात्.... पाकाहेम १००८५- पे.क्र. २, पृ. २- १०, आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक व अवचूरि, वि- १५७३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-११ भांका १६८- पे.क्र. २, पृ. ८, चतुशरण प्रकीर्णकादि सह अवचूरि, संपूर्ण पे. नाम आतुरप्रत्याख्यान सह (सं.) अवचूरि, पे. विशेष सुचीपत्रांक-१-२९२. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-२७५, १-२९२, १-३०६, १-३१९. डीवीडी-८६ भांका २०१ पृ. ४, आतुरप्रत्याख्यान सह अवचूर्णि पञ्चपाठी, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-२९३. डीवीडी-८७ भांका २७३, पृ. २७, आतुरप्रत्याख्यान विवरणसहित, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-२९१. कुल झे. पृष्ठ- १८, डीवीडी- ९० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्- (सं.) विवरण सं., गद्य, आदि वाक्यः देशस्य त्रसकायस्य एकदेशः सङ्कल्पजनिवृत्तिरूपस्तस्यापि सापराधनिर (तं) परार्थ(ध) त्वेन नहीं (द्वि) प्रकारत्वात् । .... वताकांति ४०२- पे.क्र. १, पृ. १- २३, आतुरप्रत्याख्यान विवरण व प्रदेशीनृपचरित, संपूर्ण पे. नाम- आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक का विवरण डीवीडी-२७/९८ 53
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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