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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२२८२- पे क्र. १ पृ. १ विविधतीर्थस्तुति तीर्थमालाचतुर्विंशतिकास्तुति तथा ज्ञानपञ्चमीस्तुति, वि१७मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-२ विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन (जिनस्तवन विविधभाषाबद्ध ) आचार्य जयचन्द्रसूरि प्रा. सं., अप, पद्य, श्लोक२३. पाकाहेम ७४०७, पृ. १, विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१७००. कुल झे. पृष्ठ- २ विविधभाषाबद्धजिनस्तवन- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४०७, पृ. १, विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन सावचूरिपञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१७००. कुल झे. पृष्ठ-२ विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन- (सं.) अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७४०७ पृ. १ विविधभाषाबद्ध जिनस्तवन सावचूरिपञ्चपाठ वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष श्लोक-१७०० कुल झे. पृष्ठ- २ विविधयोगविधिसङ्ग्रह प्रा., सं., गद्य, आदि वाक्यः सुत्ते अत्थे भोयणे काले आवस्सएय..... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५१, पृ. १०३-१२०, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम योगविधि, प्रतिक्रमण व प्रत्याख्यानादि पे विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र ५५-६०. , प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९ - पे.क्र. ४, पृ. ७A-१७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- दीक्षोपरान्त विविधयोगविधि संग्रह विवेककलिका प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र - ४५ +१५९ = २०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८ - ४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे. पृष्ठ- ८४, डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. १२, पृ. १२B - १६B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण पं. नाम विविध योगविधिसंग्रह प्रत विशेष - पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र - ६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है.. कुल झे. पृष्ठ-४१ मुनि नरेन्द्रप्रभ मलधारी, सं., पातासंघवीजीर्ण ५२ - पे क्र. ६, पृ. (ग) १३८ - १६०, विविध विषयक सुभाषितादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष - १३८, १३९, १४१ पत्रो नथी. प्रत विशेष- पत्र ३-४-५-६-७-१६ नथी, झेरोक्ष पत्र ५० नथी. कुल झे. पृष्ठ - ६०, डीवीडी-५७/६० विवेककुलक बहू आचार्य - जिनप्रभसूर, अप., पद्य, गा. ३२, आदि वाक्यः धणिणो कविणो जइणो तवस्सिणो दाणिणो पाताखेत ६- पे.क्र. १२, पृ. ११५-११८, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष शुद्ध प्रति - 671 लोया...
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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