SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 684
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ६- पे.क्र. ३, पृ. ८७A-१२३A, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १८९, पृ. ४६, विपाकसूत्र, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- समायणादुर्गमां लखेली., प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-४६ पाकाहेम १९९, पृ. ४२, विपाकसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ., वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम २००, पृ. ६६, विपाकसूत्र सटीक, वि-१६४७, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-९५०. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०००८, पृ. २२, विपाकसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२४५. प्रथम पत्रमा मृगापुत्रना दुःखविपाकने सूचवतुं अति आकर्षक भावपूर्ण चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम १०३३७, पृ. १८, विपाकसूत्र, वि-१५मी, संपूर्ण पाकाहेम १०३६५, पृ. २६, विपाकसूत्र, वि-१५८७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३९८, पृ. ३६, विपाकसूत्र, वि-१६०१, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १०४४९, पृ. ३५, विपाकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१२५०. कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १०५४४, पृ. ३९, विपाकसूत्र, वि-१५६४, संपूर्ण पाकाहेम १०५४५, पृ. ३७, विपाकसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाभामा ३१, पृ. ३८, विपाकसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा ४०, पृ. २१, विपाकसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पाकाभाभा ६९, पृ. २२, विपाकसूत्र, वि-१६वी, संपूर्ण पुप्रे ४५५-५, पृ.७९, विपाकसूत्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७९ विपाकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.९००, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवर्द्धमानाय वर्धमानश्रुताध्वने।... पातासंघवी ३३-१- पे.क्र. १०, पृ. २०८-२२६, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- सारी छे. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाकाहेम १९९, पृ. ४२, विपाकसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रिपाठ., वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली. कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम २००, पृ. ६६, विपाकसूत्र सटीक, वि-१६४७, संपूर्ण प्रत विशेष- टीका ग्रन्थाग्र-९५०. कुल झे.पृष्ठ-६७ पाकाहेम १०००९, पृ. १८, विपाकसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-९५०. प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेनुं चित्र छे. 667
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy