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________________ कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ वसुभूति वसुमित्रकथा धर्मप्रभावे (धर्मप्रभावे वसुभूति वसुमित्रकथा ) सं. कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र - नं.३ - १५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे, विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. " पाकाहेम १७७६- पे.क्र. २ पृ. ७-१६ अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण P प्रत विशेष - पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे. पृष्ठ-६० वसुमित्र कथा रात्रिभोजनविषये जुओ रात्रिभोजनविषये वसुमित्र कथा, संस्कृत श्लोक७२ वस्तुपालचरित्र जुओ - धर्माभ्युदय (सङ्घपति) चरित्र, आचार्य-उदयप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.५२०० वाक्यपदीय - जैनेतर - भर्तृहरि, सं., पद्य, पाकाहेम ७३१२, पृ. ५५, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७३१३, पृ. १९ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अष्टम नवम समुद्देश, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २० पाकाहेम ७३१४, पृ. ३२, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अगियारथी चौद समुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३३ वाक्यपदीय - (सं.) टीका जैनेतर - हरिवृषभ, सं., गद्य, पाकाहेम ७३११ पृ. २१ वाक्यपदीय द्वितीयकाण्डटीका वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- २१ वाक्यपदीय - (सं.) प्रकाश टीका (प्रकाश टीका) लाराज, गुरु-मुनि-स्वर्णनन्दी (दि.), सं., गद्य, पाकाहेम ७३१२, पृ. ५५, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७३१३, पृ. १९ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अष्टम नवम समुद्देश, वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल ३ पृष्ठ- २० झे पाकाहेम ७३१४, पृ. ३२. वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अगियारथी चौद समुद्देशपर्यन्त वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-३३ वाक्यपदीय - (सं.) टीका " जैनेतर - हरिवृषभ, सं., गद्य, पाकाहेम ७३११, पृ. २१, वाक्यपदीय द्वितीयकाण्डटीका, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ- २१ वाक्यपदीय - (सं.) प्रकाश टीका (प्रकाश टीका) हेलाराज, गुरु-मुनि-स्वर्णनन्दी (दि.), सं., गद्य, पाकाहेम ७३१२, पृ. ५५, वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह चतुर्थसमुद्देशपर्यन्त, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-५५ पाकाहेम ७३१३, पृ. १९ वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अष्टम नवम समुद्देश, वि-१७मी प्रतिपूर्ण वाक्यप्रकाशक्तिक कुल झे. पृष्ठ- २० पाकाहेग ७३१४, पृ. ३२. वाक्यपदीयप्रकीर्णक प्रकाशटीकासह अगियारथी चाँद समुद्देशपर्यन्त वि-१७मी प्रतिपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-३३ मुनि-उदयधर्म, सं., पथ, गा. १२४, 656
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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