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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- परिमाण श्लोक संख्या १२००० आपेल छे. पाकाभाभा ४, पृ. २०४, योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसह, वि-१४६१, संपूर्ण योगशास्त्र-(सं.)हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक (परिग्रहारम्भ श्लोक), (योगशास्त्र के १२ श्लोक की टीका) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, आदि वाक्यः परिग्रहारम्भ मग्नांस्तारयेयुः कथं परान्... कृ.विः योगशास्त्र के दूसरे अध्याय के १२वे श्लोक की टीका. पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-(सं.)शतार्थी टीका (नानार्थरत्नावली वृत्ति) मुनि-मानसागर[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-बुद्धिसागरसूरितिपागच्छ], सं., पद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य परमप्रीत्या पञ्च श्रीपरमेष्ठिनः... पुप्रे ४१६, पृ. ७९, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-७९ योगशास्त्रनो हिस्सो जीवादिस्वरूप (योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., वताकांति ४३३, पृ. ९, योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ योगशास्त्रान्तर्गत जीवादि स्वरूप जुओ - योगशास्त्रनो हिस्सो जीवादिस्वरूप, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्य, पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. १, पृ. ६३, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. नाम- योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक डीवीडी-५८/६० वताकांति ४३०, पृ. ?, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-९७/९८ भांका ९२, पृ. ८, योगशास्त्रान्तर्गतश्लोकाः, संपूर्ण डीवीडी-८४ योगसङ्ग्रहसार नन्दिवच्छ, सं., आदि वाक्यः श्रीनन्दिनं गुरूं नत्वा नित्यानन्दैककारणं... पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ३, पृ. ८८-१०१, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ योगसार सं., पद्य, श्लोक२०६, कृ.विः सकलसुखनिवहदानाय पातासंघवीजीर्ण ३१- पे.क्र.२, पृ. ???, वसन्तराज शाकुनिक शास्त्र आदि, वि-१३०६, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २९ थी ४५ सुधी नथी. त्रुटक, अव्यवस्थित. डीवीडी-५६/५९ पाकाहेम ४६५४- पे.क्र. १, पृ. २, योगसार तथा परमसुखद्वात्रिंशिका, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ पाकाहेम ७८५७- पे.क्र.३, पृ. ३-५, प्रकीर्णकश्लोक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२०४. कुल झे.पृष्ठ-६ 628
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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