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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२६४, डीवीडी-६९/७८ पाकाहेम ९९८९, पृ. २१९, आचाराङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२० पाकाहेम १४९२८, पृ. १९८, आचाराङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे. पुप्रे ४२०, पृ. ३६०, आचाराङ्गसूत्र सह टीका, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६० आचाराङगादि आगमिक टीकाकारादि, आद्यन्तपाठ व ग्रन्थमानादिसङग्रह सं., गद्य, पाकाहेम १००९८, पृ.४, आचाराङ्गादि आगमिक टीकाकारादि,आद्यन्तपाठ व ग्रन्थमानादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ आचार्यचूलिका सिद्धान्त मुनि-जिनमुनि, प्रा., पद्य, गा.८७, आदि वाक्यः तं नमह रिसहनाहं केवलवरनाणदंसणसणाहं.. पाकाहेम १४९३५- पे.क्र. २, पृ. ४-६, सारावलि प्रकीर्णक, आचाराङ्गसूत्र चूलिका, संपूर्ण पे. नाम- आचारांगसूत्र चूलिका, पे. विशेष- आचारांगसूत्र चूलिकागाथा-८७. कुल झे.पृष्ठ-७ आचार्यना ३६ गुण जुओ - आचार्यषट्त्रिंशद्गुण, संस्कृत आचार्यनामगर्भित नेमिनाथस्तवन जुओ - सूरिनामगर्भित नेमिनाथस्तवन, संस्कृत, श्लोक१० आचार्यनामगर्भित स्तुति (स्तुति आचार्यनामगर्भित) सं., पद्य, श्लोक, आदि वाक्यः प्रणवहृदि यदीयं... पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ७३, पृ. १२९-१३०, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ आचार्यप्रतिष्ठा विधि (प्रतिष्ठा विधि) प्रा., पद्य, गा.२३, आदि वाक्यः सिहिजोगम्मि पसत्थे गहिए काले निवेइए... पातासंघवी १४६-२- पे.क्र. २, पृ. ८२-८९, नन्दीसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ भांता ७०- पे.क्र. ३४, पृ. ४१B-४२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-३-२६. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२ उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्यषट्त्रिंशद्गुण (आचार्यना ३६ गुण) सं., गद्य, आदि वाक्यः आयाराई अट्ठओ तह चेव... भांता ७०- पे.क्र. १४०, पृ. १९५B-१९६A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२९., प्रारंभिक पाठ अवाच्य होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया है. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आचार्यस्तुति (आयरियथुइ ?) प्रा., पद्य, गा.२१, आदि वाक्यः पञ्चविह आयारं आयरमाणा तहा पयासेन्ता... 47
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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