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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३१, पृ. १२९A-१३१A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं.. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांका ११०- पे.क्र. १, पृ. १A-२B, मिथ्यात्वपरिहार, एगुणतीसी भावना व जीवसम्बोध कुलक, संपूर्ण पे. नाम- संसारतारयाणास्तवन, पे. विशेष- गाथा-३५. प्रतिलेखक गाथाक्रम २१-२२ देना भूल गया है. प्रत विशेष- लिखावट सुन्दर है. कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८४ मिथ्यात्वसप्ततिकाप्रकरण आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.७४, पाकाहेम ७८०१, पृ. २, मिथ्यात्वसप्ततिकाप्रकरण, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक प्रा., पद्य, गा.४४, पाकाहेम ७७८३, पृ. १, मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७७८३, पृ. १, मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ७७८३, पृ. १, मिथ्यात्वस्थानाविवरणकुलक सावचूरिक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ मिथ्यादुष्कृतकुलक (असद्ध्यानक्षामणाकुलक), (भावनाकुलक) प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः (१) जो को वि य पाणिगणो दुक्खे ठविओ मए भमन्तेणं । सो खमउ मज्झ इण्हिं मिच्छामिह दुक्कडं तस्स ||१||...(२) जो कोइय पाणिगणो दुक्खे ठवितो मए भमन्तेण... पाताहेसं १८९- पे.क्र. ४१, पृ. १५९०-१५९B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- मिथ्यादुःकृतकुलक प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ मुक्तिमार्गविषयकउपदेश सं.. पाकाहेम २१०६- पे.क्र.८, पृ. ६२-६३, मनुष्यभवोपरिदसदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६५ मुखपोतिकाकुलक आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८, पाकाहेम ९६२२- पे.क्र. १, पृ. १-७, मुखपोतिकाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण मुखवस्त्रिका कुलक आचार्य-वर्द्धमानसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८, आदि वाक्यः मोहतिमिरोहसूरं नमिउं वीरं सुयाणुसारेण... भांता ७०- पे.क्र.८०, पृ. १०३B-१०५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-२८४. 604
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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