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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४, पृ. ४३-६१, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३०८. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण प्रा., पद्य, गा.५३४, पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. १, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति० वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है. डीवीडी-५८/६० बृहद् अजितशान्तिस्तवन जुओ - बृहत् अजितशान्तिस्तवन, आचार्य-जयशेखरसूरि, संस्कृत, का.१७ बृहद्ग्रहशान्तिस्तोत्र आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, श्लोक२८, आदि वाक्यः जगद्गुरुं नमस्कृत्यं श्रुत्वा सद्गुरुभाषितम्... पाकाहेम १३१७१- पे.क्र. १२, पृ. ७A-७B, वीरजिन,भारती-सरस्वति आदि स्तोत्रसङ्ग्रह, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ बृहद्वृत्ति जुओ - उपदेशमालाप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति हेयोपादेयाटीका-(प्रा.)कथा सहित, गणि-सिद्धर्षि गणि, संस्कृत,प्राकृत, ग्रं.९५०० बृहद्वृत्ति जुओ - विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)शिष्यहिता वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत, ग्रं.२८००० बृहद्वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्ति, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत बृहद्वृत्तिसारोद्धार जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सक्षेप-(सं.)कक्षापट वृत्ति, संस्कृत बृहन्महर्षिस्तव जुओ - महर्षिस्तव बृहत्, प्राकृत, गा.५९ बे स्तुतिओ , पद्य, का.८, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३४, पृ. १२४मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ बोटिकप्रतिषेध आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पातासंघवी १३५-२- पे.क्र.७, पृ. १०४-१०८, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३ बोटिकोच्चाटनवादस्थानक प्रा., पद्य, आदि वाक्यः इत्थं पुण जिणमग्गे तित्थयराणं च पढमउ कप्पो... भांता ७०- पे.क्र. १०४, पृ. १४००-१४४A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ बोधदीपिका वृत्ति जुओ - अजितशान्तिस्तोत्र-(सं.)बोधदीपिका वृत्ति, आचार्य-जिनप्रभसूरि, संस्कृत, ग्रं.७४० बोधप्रदीपपञ्चाशिका सं., पद्य, का.५०, आदि वाक्यः चूडोत्तंसितचारुचन्द्रकलिकाचञ्चच्छिखाभासुरो... कृ.विः काव्य-५१. पातासंघवी १७४- पे.क्र.३, पृ. ४५-५२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- बोधप्रदीप, पे. विशेष- अपूर्ण. त्रुटक पत्र ४५-४६-५०-५१ नथी. झेरोक्ष पत्र-१८-२०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. 556
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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