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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १००४२, पृ. १३४, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१५७४, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३४ पाकाहेम १००४३, पृ. १५१, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह तृतीय खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५२ पाकाहेम १००४४, पृ. ८२, बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-भाष्य वृत्तिसह चतुर्थ खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रतक्रम-१००४१ थी १००४४ चारेय खण्डोना कुल ग्रन्थाग्र-४२००० छे. कुल झे.पृष्ठ-८२ पाकाहेम १०३१५, पृ. २०७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित प्रथमखण्ड, वि-१५०८, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. कुल झे.पृष्ठ-२०७ पाकाहेम १०३१६, पृ. १३६, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- श्लोक-१०,०००. कुल झे.पृष्ठ-१३६ पाकाहेम १०३१७, पृ. ४१, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित - तृतीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४२ पाकाहेम १०३१८, पृ. ७७, बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसहित चतुर्थखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ५मुं डबल छे., ग्रन्थान - ५५५१. कुल झे.पृष्ठ-७८ पाकाभामा ७०, पृ. ३०१, बृहत्कल्पसूत्र प्रथमखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६००, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- किनारी थोडी उंदरे करडेली. पाकाभाभा ७१, पृ. २२९, बृहत्कल्पसूत्र तृतीयखण्ड नियुक्ति टीकासह, वि-१६०८, संपूर्ण पाकाभाभा ७२, पृ. २८५, बृहत्कल्पसूत्र द्वितीयखण्ड नियुक्ति-टीकासह, वि-१६०७, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५४ नथी, २७८ डबल छे. बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.६४०, ग्रं.८७५, आदि वाक्यः नमिऊण सजलजलहरनिभस्सणं वद्धमाणजिणवसह।... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १७, पृ.?, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- क्षेत्रसमासप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-६५६. झेरोक्ष पत्र-९ पर है. मात्र अन्त के पत्र हैं. सूचीपत्र में इसका उल्लेख नहीं है. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १८३-२, पृ. २४६, क्षेत्रसमास सटीक, वि-१२७४, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-३५५, कुल ग्रन्थाग्र-३०००. डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १८८-१- पे.क्र. १, पृ. १-६४, बृहत् क्षेत्रसमासवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. नाम- बृहत् क्षेत्रसमास सह वृत्ति, पे. विशेष- बृहत् क्षेत्रसमास वृत्तिः प्रथमाधिकारान्तर्गत विवरणे लघुक्षेत्रसमाससूत्र व्याख्यानं सविशेष समुद्धृतमिति. डीवीडी-३७/५४ भांता ५१, पृ. २८२, बृहत्क्षेत्रसमास सह मलयगिरीयटीका - उत्तरार्द्ध, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- दो भागों में यह प्रत लिखी गयी है. इस भाग में गाथा-३०३ से अन्त तक है. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-७१/८० 550
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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