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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती बुद्धिरास आचार्य-शालिभद्रसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, श्लोक७३, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३३, पृ. ७५-७६, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. ४४, पृ. १३७-१४२, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५७. प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ बुद्धिविषये औत्पत्तिक्यादि भरतनटादिकथाओ जुओ - भरतनटादिकथाओ-औत्पत्तिक्यादिबुद्धिविषये, संस्कृत बुद्धिसागर (बुद्धिनिधि), (बुद्धिसिन्धु) जैनश्रावक-सङ्ग्रामसिंह[ओशवाल], सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२०अध्याय४तरंग, आदि वाक्यः मोहध्वान्तैकभानवे नमज्जनघनानन्दकारिणे... कृ.विः विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. भांका २४१, पृ. १५, बुद्धिसागर, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८, डीवीडी-८९ बुद्धिसागरव्याकरण-पञ्चग्रन्थी (पञ्चग्रन्थी) आचार्य-बुद्धिसागरसूरि[तपागच्छ], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १०८०, ग्रं.७०००, पाकाहेम ६६०८, पृ. १०४, बुद्धिसागरव्याकरण-पञ्चग्रन्थी, वि-१५मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१०५ बुद्धिसिन्धु जुओ - बुद्धिसागर, जैनश्रावक-सङ्ग्रामसिंह, संस्कृत बुद्धिसूरिस्तुति पूर्णिमा पाक्षिक जुओ - पूर्णिमा पाक्षिक बुद्धिसूरिस्तुति#, अपभ्रंश बृहच्चाणक्य राजनीतिशास्त्र जुओ - वृद्धचाणक्य-राजनीतिशास्त्र, संस्कृत बृहच्छान्तिस्तोत्र जुओ - बृहत् शान्तिस्तोत्र, आचार्य-शान्तिसूरि वादिवेताल, संस्कृत बृहच्छ्रावक विधि जुओ - बृहत् श्रावकविधि, अपभ्रंश, गा.३४ बृहत् अजितशान्तिस्तवन (बृहद् अजितशान्तिस्तवन), (अजितशान्तिस्तवन बृहद्) आचार्य-जयशेखरसूरि, सं., पद्य, का.१७, आदि वाक्यः सकलसुखनिवहदानाय... पाकाहेम १२१५७, पृ. २, बृहद्अजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बृहत् अजितशान्तिस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२१५७, पृ. १-३, बृहद्अजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बृहत् अजितशान्तिस्तवन-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १२१५७, पृ. १-३, बृहद्अजितशान्तिस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ बृहत् आउरपच्चक्खान पयन्ना जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.७१ बृहत् आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक जुओ - आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक बृहत्, गणि-वीरभद्र, प्राकृत, गा.७१ बृहत् आराधना (आराधना बृहत्) आचार्य-सोमसूरि, प्रा., पद्य, गा.६९, पातासंघवी २०२- पे.क्र. १६, पृ. ३०१-३०८, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ बृहत् कल्पभाष्य जुओ - बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहत्कल्पभाष्य, प्राकृत, ग्रं.६६०० बृहत् कल्पसूत्र 541
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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