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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः बन्धस्य विधानं मिथ्यात्वादिभिर्निर्वर्त्तनं... भांका १७४- पे.क्र. ३, पृ. १४-१८, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) बन्ध० बन्धकर्माणूनां जीवप्रदेशैः सह सम्बन्धस्तस्य विधानं...(२) नव्य बन्धस्वामित्वे किञ्चिल्लिख्यते... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. ३, पृ. ५-६, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण पे. नाम- बन्धस्वामित्वावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. ३, पृ. १३-१६, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण पे. नाम- बन्धस्वामित्वस्यावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७ बन्धस्वामित्व नव्य तृतीयकर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७५- पे.क्र. १, पृ. २०, तृतीय-चतुर्थकर्मग्रन्थ टबार्थसहित, वि-१७मी, संपूर्ण पे. नाम- तृतीय कर्मग्रन्थ बन्धस्वामीत्व सह (मा.गु.)टबार्थ कुल झे.पृष्ठ-२१ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ (कर्मग्रन्थ तृतीय प्राचीन) प्रा., पद्य, गा.५४, पातासंघवी ११७-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७-१४-१६-२२-२४-३० नथी. ४८ पत्रनो टुकडो छे. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११९-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व प्राचीन कर्मग्रन्थ सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पाटण ताडपत्रीय केटलॉग में तथा माइक्रोफिल्म रजिष्टर में इस कृति का उल्लेख नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. २, पृ. १२१-१५१, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण पे. विशेष- वचमां ७ पत्र अने पाछलां पण पत्रो नथी. तेनी नोंध साथेज छे. डीवीडी-३४/५२ बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति (प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७२, ग्रं.५६०, पातासंघवी ११७-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७-१४-१६-२२-२४-३० नथी. ४८ पत्रनो टुकडो छे. __ डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी ११९-२, पृ. ४८, बन्धस्वामित्व प्राचीन कर्मग्रन्थ सटीक, संपूर्ण प्रत विशेष- पाटण ताडपत्रीय केटलॉग में तथा माइक्रोफिल्म रजिष्टर में इस कृति का उल्लेख नहीं है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पातासंघवी १२७-२- पे.क्र. २, पृ. १५०, षडशीति सटीक आदि, वि-१३३२, संपूर्ण 538
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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