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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.४६३०, पातासंघवी ३३-१- पे.क्र.९, पृ. ११४-२०७, उपासकदशाङ्ग आदि, वि-१४५५, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-५६३०. सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-२५/४३ पाताहेसं६- पे.क्र. ७, पृ. १६३०-२४०B-, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम- प्रश्नव्याकरण की टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. अध्ययन-५ तक है. प्रत विशेष- मूल- पत्र-४७थी १२३, टीका- पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १८४, पृ. ९७, प्रश्नव्याकरणदशाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६०८, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९६ पाकाहेम १०००७- पे.क्र. ४, पृ. २५-१०५, उपासकदशाङ्गसूत्रवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक-१ थी ३ ना श्लोक-१३००. प्रथम पत्रमा क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणे भव्य चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-१०६ पाकाहेम १०४१६, पृ. ८२, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५६३०. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम १४८४४, पृ. ८७, प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४१३०. प्रथम पत्रमा पांच आश्रव ने पांच संवरने सूचवतुं सुन्दर चित्र लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-८७ पाकाहेम १४९०६- पे.क्र. ४, पृ. २१-९२, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पृष्टमां समोवसरण, चित्र छे. अने १२ तथा४२मुं डबल छे. प्रश्नशत जुओ - प्रश्नशतक, गणि-जिनवल्लभ, संस्कृत, श्लोक१६१ प्रश्नशतक (प्रश्नशत), (एकषष्ट्यधिककाव्यशत)। गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, श्लोक१६१, आदि वाक्यः क्रमनखदशकोट्यद्दीप्रदीप्तिप्रदानै... कृ.विः विविध चक्रबंध रचना है. प्रश्न-१६१. भांका २४२, पृ. १४, प्रश्नशत सह अवचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सुन्दर लिपियुक्त शुद्ध प्रति. पदच्छेद, संधिसूचक व क्रियापदसूचक संकेत सहित. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ भांका २६९, पृ. ६, प्रश्नशत सह टिप्पण, संपूर्ण प्रत विशेष- इस प्रत के अन्दर दो प्रतियां है., पलुं पार्नु नथी. __ कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९० प्रश्नशतक-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, भांका २६९, पृ. ६, प्रश्नशत सह टिप्पण, संपूर्ण प्रत विशेष- इस प्रत के अन्दर दो प्रतियां है., १लुं पार्नु नथी. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९० प्रश्नशतक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः जिनन् हानि गच्छत् ज्या हानौ... भांका २४२, पृ. १-५A, प्रश्नशत सह अवचूरि, संपूर्ण प्रत विशेष- सुन्दर लिपियुक्त शुद्ध प्रति. पदच्छेद, संधिसूचक व क्रियापदसूचक संकेत सहित. कुल झे.पृष्ठ-१०, डीवीडी-८९ प्रश्नशतक-(सं.)अवचूरि 530
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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