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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. विशेष- क्षामणक सहित. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ४, पृ. ९०-१०१, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३००. कुल झे.पृष्ठ-३१ पाकाहेम ६९३२, पृ. ११, पाक्षिकसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ६९३८- पे.क्र. १, पृ.?, पाक्षिकसूत्र तथा साधुपाक्षिकअतिचार , वि-१७मी, संपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम ६९४१- पे.क्र. १, पृ. १-१६७, पाक्षिकसूत्र बालावबोधसहित तथासप्तनयविवरण, वि-१७९१, संपूर्ण पे. नाम- पाक्षिकसूत्र सह (मा.गु.)बालावबोध कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम १००७१- पे.क्र. १, पृ. ४, पाक्षिकसूत्र तथा पाक्षिकक्षामणक, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- खामणा पण साथे छे. कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १०४३३- पे.क्र.२, पृ. १२-१६, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१६मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १२१२४- पे.क्र. २४, पृ. ८९-१०४, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २३मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम १४८६८, पृ. ७७, पाक्षिकसूत्रवृत्तिसह, वि-१५६३, संपूर्ण प्रत विशेष- आ प्रतमां संपूर्ण परिमाण श्लोक सं.३१०० आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-७६ पाकाहेम १४८६९, पृ. ८, पाक्षिकसूत्रमूल, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-९ पाक्षिकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी प्रा.,सं., गद्य, ग्रं.४१५, आदि वाक्यः नित्यं विशुद्धमनसोऽपि साधवः शुद्धवाग्योगकायक्रियाकारिणश्च नित्यं..... कृ.विः यशोभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारणी. अताका ४९९, पृ. २४९, पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह किञ्चिद् चूर्णि, वि-११८०, पूर्ण डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. २, पृ. ११-१७, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाक्षिकसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-यशोदेवसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११८०, श्लोक२७००, आदि वाक्यः शिवशर्मैकनिमित्तं विघ्नौघविघातिनं जिनं नत्वा। पाताहेसं २४- पे.क्र. १, पृ. १-९१, पाक्षिकसूत्रवृत्ति व त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र - द्वितीय पर्व, वि-१३२७, संपूर्ण पे. नाम- पक्षप्रतिक्रमणवृत्ति, पे. विशेष- संपूर्ण. ग्रंथाग्र-२७००., झेरोक्ष पत्र १-६८. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखी गयी है. दोनो का पत्रानुक्रम स्वतंत्र है तथा झेरोक्ष पत्रानुक्रम ___ क्रमशः दिया गया है. कुल झे.पृष्ठ-१८२, डीवीडी-३/१३ भांता ३७, पृ. १७७, पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-११५०. डीवीडी-६९/७८ भांता ३८, पृ. २५९, पाक्षिकसूत्रवृत्ति, वि-१२७५, संपूर्ण 468
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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