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________________ कुल झे. पृष्ठ- १४५ आचार्य हरिभद्रसूरि. सं., गद्य ग्रं.८८०, भांका १२१ पृ. ३०, पञ्चसूत्र सटीक, संपूर्ण डीवीडी-८५ पञ्चसूत्र-(सं.)टीका पञ्चसूत्र- प्रथमसूत्र जुओ- पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र, प्राकृत पञ्चसूत्रनो हिस्सो पापप्रतिघातगुणबीजाधान प्रथमसूत्र (पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र ), ( पापपडिग्घायगुणबीजाघानसुत्त), (पञ्चसूत्र- प्रथमसूत्र ) प्रा., गद्य, पाताखेत १२ पे.क्र. १६. पू. १८९-१९४, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण ये नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रत विशेष - ११५ मुं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १०८ - पे.क्र. ९, पृ. २१८-२२४, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी ६६-३- पे. क्र. ३. पू. ६१-७९. पुष्पमाला आदि, संपूर्ण ये नाम- पापप्रतिघातगुणबीजापानसूत्र, पे. विशेष पंचसूत्र- प्रथम सूत्र. डीवीडी - ३० / ४९ पातासंघवी ६७१ पे. क्र. १३. पृ. १-४, उपदेशमाला आदि वि-१२३७. संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र प्रथमसूत्र डीवीडी - ३० / ४९ पाताहेसं ११९ - पे.क्र. २७, पृ. २४६ - २४९, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधान सूत्र पञ्चस्थावर निरूपण प्रत विशेष - झेरोक्ष पत्र - १०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र - ८७ - १४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे. पृष्ठ- १२४, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १४ पृ. २३-२४ प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- पापप्रतिघातगुणबीजाधानसूत्र - प्रथमसूत्र प्रत विशेष प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल हो. पृष्ठ- १४५ प्रा., गद्य, आदि वाक्यः किमयं भन्ते तसुक्काएत्तिय वुच्चइ... भांता ७०- पे.क्र. १००, पृ. १३७B- १३८A, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पञ्चाख्यानगतसुभाषित सं., पञ्चाणुव्रतकथा • प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र - २५२+२-१-२५३., पेटाङ्क - १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.. कुल ४२०० श्लोक, अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२4 उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १२०५०, पृ. १, पञ्चाख्यानगतसुभाषित वि-१९मी, संपूर्ण कुल हो. पृष्ठ-२ , सं., पद्य, श्लोक १४५, आदि वाक्यः सिद्धिमागपदेष्टारं तीर्ण संसारसागरं .... कृ. विः श्लोक-२४+२७+२०+३६+३८. 454
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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