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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१३५ पाकाहेम १०३४२, पृ. १८, निशीथचूर्णि द्वितीयखण्ड अपूर्ण, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१९ पाकाहेम १४८५३, पृ. ४५१, निशीथसूत्रचूर्णि, वि-१५६३, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र १७३ थी १९१ सुधीना पत्रांको लेखकना प्रमादथी छुटी गया छे. पण सम्बन्ध तुटतो नथी. निशीथसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णीनी (सं.)विंशोद्देशकव्याख्या (विंशोद्देशकव्याख्या), (विशेषचूर्णिव्याख्या)
आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम ११७४, श्लोक११००, आदि वाक्यः
प्रणम्य वीरं सुरवन्दितक्रमं विशुद्धशुद्धयाऽखिलनष्टकल्मषम्... भांता २१- पे.क्र. २, पृ. ३३५-३५३, निशीथसूत्र चूर्णि सह विंशोद्देशक व्याख्या उद्देशक-११-२०-द्वितीयखण्ड, वि
१२९४, प्रतिअपूर्ण पे. नाम- निशीथसूत्रनी विशेषचूर्णीनी विंशोद्देशक व्याख्या प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-४५१, १-४४७., १५२ खूटे छे, २५२ डबल छे.
डीवीडी-६८/७७ पाकाहेम ७३१- पे.क्र. २, पृ. २७७-३००, निशीथसूत्रचूर्णि खण्ड-२, वि-१५४५, प्रतिपूर्ण पे. विशेष- सचित्र.
कुल झे.पृष्ठ-३०१ पाकाहेम ६५४१- पे.क्र. २, पृ. ४५६-४७२, निशीथसूत्र चूर्णि, वि-१४८५, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३२-३३ भेगां अने ६४९ ७४मुं तेमज ७८मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-४७४ पाकाहेम १००५३- पे.क्र. २, पृ. ३७९-३९४, निशीथसूत्र विशेषचूर्णि आदि, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३०५ पाकाहेम १०३२२- पे.क्र. २, पृ. १२३-१३५, निशीथसूत्र चूर्णि द्वितीयखण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१३५ निशीथसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति मुनि-पार्श्वचन्द्रशिष्य, प्रा., गद्य,
कृ.विः विशेष चूर्णि मां थी उद्धृत. पाकाहेम १०३६७, पृ. ८३, निशीथसूत्र लघुवृत्ति-विशेषचूर्णिमान्थी उद्धृत प्रथमखण्ड, वि-१७मी, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८३ निशीथसूत्र-(सं.)पर्याय
सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ९, पृ.७-१७, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८४ पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ३०, पृ. ८२-८३, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण
__ कुल झे.पृष्ठ-८४ उपधानविधि निशीथोक्त (निशीथोक्त उपधानविधि) प्रा., आदि वाक्यः सुयं मे आउसं...एवमक्खायं देज्जा आलोयणं...
कृ.विः अन्तिमवाक्य-सुलभबोधिलाभनिमित्तेणं एवं चेइयाइ अकुव्वममाणे अप्पाराहिए महानिशीथे. भांता ७०- पे.क्र. ५५, पृ. ५९A-६२B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ निशीथसूत्र-(प्रा.)भाष्य
प्रा., पद्य, गा.६४३९, ग्रं.८४००, आदि वाक्यः णवबम्भचेरमइओ अट्ठारसपदसहस्सिओ...
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