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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- त्रुटक कुल झे.पृष्ठ-९ नवाणुप्रकारीपूजा मुनि-वीरविजय, मारुगूर्जर, लिंता २४३२-१, पृ. १, नवाणुप्रकारीपूजा, वि-१८८६, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती-७ पत्रांतर्गत. नव्य कर्मग्रन्थ द्वितीय जुओ - कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.३४ नव्य कर्मग्रन्थ प्रथम जुओ - कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ', आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.६१ नव्य कर्मग्रन्थषट्क जुओ - कर्मग्रन्थषट्क, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ जुओ - बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ जुओ - शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति जुओ - शतक नव्य पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.४३४० नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण (बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण नव्य), (क्षेत्रसमासप्रकरण नव्य बृहत) आचार्य-सोमतिलकसूरि, प्रा., पद्य, गा.३८६, आदि वाक्यः सिरिनिलयं... पाकाहेम ११६४, पृ. ९, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ पाकाहेम १०५८७, पृ. १८, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण, वि-१५३४, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-३८७. प्रति पाणीमां भीजाईने एक बाजुथी खराब थई गई छे. पत्र १६मुं नथी. पाकाहेम १०५८८, पृ. १७, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण भांका १७०, पृ. ८, नव्यबृहत् क्षेत्रसमास, संपूर्ण डीवीडी-८६ नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०३६, पाकाहेम ११६६, पृ. १९, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम ११६७, पृ. १२, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१४६२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०५८९, पृ. २३, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५८८, पृ. १७, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं)अवचूरि आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., पद्य, श्लोक१०३६, पाकाहेम ११६६, पृ. १९, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० पाकाहेम ११६७, पृ. १२, नव्यबृहत्क्षेत्रसमास अवचूरि, वि-१४६२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १०५८९, पृ. २३, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५८८, पृ. १७, नव्यबृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण नव्ययतिजीतकल्पसूत्र जुओ - यतिजीतकल्पसूत्र नव्य, आचार्य-सोमसूरि, प्राकृत, गा.३३३ 415
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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