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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-विजयसिंहसूरि, गुरु-मुनि-शान्तिमुनि, सं., गद्य, ग्रं.१४४७१, आदि वाक्यः नृपत्वतीर्थाधिपतित्वभाजा नयस्य धर्मस्य... कृ.विः विस्तृत रचना प्रशस्ति. पाताहेसं ३३, पृ. ३२०, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२९८, डीवीडी-४/१४ पाताहेसं ३४, पृ. ४३३, धर्मउपदेशमाला सटीक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३६०, डीवीडी-४/१४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण-(सं.)टीका सं., गद्य, ग्रं.१३८६८, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १७, पृ. -२-२१B, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमाला सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. मात्र अंतिम भाग है. झेरोक्ष पत्र-७०-७१. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० धर्मोपदेशमालाप्रकरण आचार्य-जयसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१०१, आदि वाक्यः सिज्झउ मज्झविसुयदेवि... पाताखेत १७-२- पे.क्र.२, पृ. ५३-६२, उपदेशमालादि ९ ग्रन्थो, वि-१२९५, पूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३०, पृ. १९६-२००, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३., २००मुं पत्र नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ११३- पे.क्र. २, पृ. ४६-५३, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र.२, पृ. ४६-५४, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १८९- पे.क्र. ५, पृ. ४७A-६७B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- धम्मोवएसमालाप्रकरण, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ३७-३८ पर बीजक दिया है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ६४- पे.क्र. ४, पृ. १४५A-१५४B, उपदेशमाला आदि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण __पे. नाम- धम्मोवएसमाला, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र-३९-४४. कुल झे.पृष्ठ-६०, डीवीडी-७२/८१ अताका ४९७- पे.क्र. २, पृ. ६००-७१B, प्रकरणपुस्तिका, वि-१३०१, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०३. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सचित्र. कुल झे.पृष्ठ-१२७, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७७५- पे.क्र. २८, पृ. ५८-६०, दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र-५८,५९ भेगा छे. कुल झे.पृष्ठ-९० पाकाहेम १०२३- पे.क्र. १८, पृ. ४८-५२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१०४. अन्त में स्थानांगसूत्र की दृष्टान्तगाथा दी गयी है. प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१४५ 389
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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