SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 370
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सं. गद्य, आदि वाक्यः इहार्थतः वीरकृतस्य सुत्रतो गणधर कृतस्य .... भांका १२२, पृ. १४, दशवैकालिकसूत्रादि बृहद्वृत्यवचूरी, वि-१५१०, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-७१२. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय वृत्ति) सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १८, पृ. ४६-४९, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-८४ दशवैकालिकसूत्र (सं.) वृहद्वृत्त्यनुसारिणी (सं.) वृत्ति 3 - 3 सं., गद्य, पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह निर्युक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम ३०+१७+११० इस प्रकार है. कुल झे. पृष्ठ-१५० दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्त्यनुसारिणी (सं.) वृत्ति सं., गद्य, पुप्रे ४०८, पृ. १५७, दशवैकालिकसूत्र सह निर्युक्ति व वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्रक्रम - ३० + १७+११० इस प्रकार है. कुल झे. पृष्ठ-१५७ दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनो (सं.) विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय वृत्ति) सं. गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १८, पृ. ४६-४९, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-८४ दशवैकालिकसूत्र-(सं.) बृहद्वृत्तिनी (सं.) अवचूरि सं., गद्य, आदि वाक्यः इहार्थतः वीरकृतस्य सूत्रतो गणधर कृतस्य.... भांका १२२, पृ. १४ दशवेकालिकसूत्रादि बृहद्वत्यवचूरी, वि-१५१० अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-७१२. डीवीडी-८५ दशवैकालिकसूत्र - (सं.) लघुवृत्ति आचार्य-सुमतिसूरि, गुरु-बोधक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १२२०, ग्रं. २६५०, आदि वाक्यः जयति विजितान्यतेजाः ... इहाहर्थतस्तत्प्रणीतस्य.... कृ.वि: हारिभद्री बृहद्वृत्तिना मूल सूत्र व्याख्याभागनो उद्धार .. पातासंघवी ४-२, पृ. ११५, दशवैकालिकटीका, वि-११८८, संपूर्ण डीवीडी-२०/३९ पाताहेसं ८८, पृ. १६२, दशवैकालिक लघुटीका, वि - १२४८, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७५२६, पृ. ३९, दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रिपाठ, वि-१७३८, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४० पाकाहेम १००७५, पृ. ३४ दशवैकालिकसूत्र टीका, वि-१४९९, संपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र- ३०००. कुल झे. पृष्ठ-३५ पाकाभाभा ७४, पृ. ३४, दशवैकालिकसूत्र टीका सह, वि-१६वी, संपूर्ण भांका २६२, पृ. ६२, दशवैकालिकसूत्र चूलिकायुगल तथा टीका, वि-१७४५, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं. १-७१६. डीवीडी-८९ 353
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy