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________________ ज्ञानसार अष्टक - (मा.गु.) बालावबोधार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७६८९, पृ. ७७, ज्ञानसार बालावबोध सह संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४३ ज्ञानसार अष्टक - (मा.गु.) बालावबोध उपाध्याय - यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], मारुगूर्जर, गद्य, पाकाभामा २९९ पृ.३१ ज्ञानसार स्वोपज्ञ बालावबोधसह वि-१८६१, संपूर्ण ज्ञानसार अष्टक- (सं.) टिप्पण ज्ञानार्णव ज्ञानाङ्कुश कृति उपरथी प्रत माहिती , सं., गद्य, पाकाहेम ७८६३, पृ. ४, ज्ञानसार टिप्पणीसहित वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-४ सं., पद्य, श्लोक२८, आदि वाक्यः महात्मनां सत्त्ववशाद्यवस्थितिर्दृढा परिज्ञानसमाहितात्मनां... पातासंघवी १७४- पे. क्र. ७, पृ. ८४-८६. योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण ज्ञानार्णवसारोद्धार पे. नाम- ज्ञानांकुशप्रकरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्रांक ८५ ( श्लोक-११से२०) नहीं है. झेरोक्ष पत्र - ३१-३२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है. कुल झे. पृष्ठ- १५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६७-१- पे. क्र. ९, पृ. १८-२०, प्रशमरतिप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ आचार्य शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., पातासंघवी १४६-१- पे. क्र. ७, पृ. १३५-१४८, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण डीवीडी-३५/५३ 7 ज्ञानार्णवसारोद्धार (सं.) टिप्पणी आचार्य शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं. ग्रं.६२२, पाकाहेम १४८९६, पृ. ९५, ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ९५ ज्ञानार्णवप्रकरण सं. गद्य, पाकाहेम १४८९६ पृ. ९५. ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण, वि-१७मी, संपूर्ण कुल डी. पृष्ठ-९५ ज्ञानार्णवप्रकरण (सं.) स्वोपज्ञ विवरण उपाध्याय-यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], सं., पद्य, आदि वाक्यः ऐन्दवीं तां कलां स्मृत्वा धीमान्यायविशारदः .... अताका ४७९ - पे. क्र. १, पृ. १-३२, ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द. नंबर-४३०७७. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. कुल झे. पृष्ठ- २५, डीवीडी - १०३/१०४ उपाध्याय - यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः स्पष्टः तत्र पूर्वं ज्ञानानि निरूपयितुं .... अताका ४७९ पे. क्र. १, पृ. २५. ज्ञानार्णवप्रकरण स्वोपज्ञ विवरण आदि, संपूर्ण पे नाम ज्ञानार्णवप्रकरण सह स्वोपज्ञ विवरण, पे विशेष अपूर्ण श्लोक-३३ के विवरण तक है. ला. द. नंबर- ४३०७७. प्रत विशेष- सभी पेटांक का पत्र क्रमशः गिना गया है. 313
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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