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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-शान्तिसूरि, प्रा., पद्य, गा.५१, आदि वाक्यः भुवणपईवं वीरं नमिऊण भणामि अबुहबोहत्थं । पाताखेत १२- पे.क्र.२९, पृ. २७३-२७८, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी २०२- पे.क्र. १४, पृ. २७३-२८०, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ पातासंघवी ६६-३- पे.क्र. ६, पृ. ९२-९७, पुष्पमाला आदि, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ७१-३- पे.क्र.१, पृ. २-८, जीवविचार आदि, संपूर्ण डीवीडी-३१/५० पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २४, पृ. २२१-२२४, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. ३३, पृ. २०९-२११, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र २०५, २०८ नथी. कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र.७, पृ. ४९-५२, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १२, पृ. १४२-१४६, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११९- पे.क्र. २६, पृ. २४१-२४६, पुष्पमालाप्रकरण आदि उपदेशमालाप्रकरण , संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-१०१ से १२४ व ताडपत्रीय पत्र-८७-१४१ किसी अन्य प्रत के पन्ने हैं. कुल झे.पृष्ठ-१२४, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १२२- पे.क्र. १०, पृ. ???, नवपदप्रकरण आदि, संपूर्ण डीवीडी-७/१७ पाताहेसं १६१- पे.क्र. १९, पृ. १९२-१९५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-५१. प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र.७, पृ. -५९-, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-३६ तक नहीं है. झेरोक्ष पत्र ३९-४० पर बीजक दिया हुआ है. प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं. कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ तालाद ३३९- पे.क्र. १, पृ. ५५-५९, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ डतामुक्ता ४६२, पृ. ४, जीवविचार, संपूर्ण प्रत विशेष- जम्बो डीवीडी-१०१/१०२ पाकाहेम १०२२- पे.क्र. १५, पृ. ३४-३५, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल ___ में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. पाकाहेम २७२६- पे.क्र. ३, पृ. ५-८, लघुचाणक्यादि, वि-१७मी, संपूर्ण 299
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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