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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८२१८ - पे.क्र. १, पृ. १, चन्द्रप्रभजिनस्तुति आदि, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ चन्द्रप्रभपुराण आचार्य-शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर), सं., पद्यसर्ग१०, ग्रं.१५६०, भांका १३५, पृ. ७४, चन्द्रप्रभपुराण, वि-१८६२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पंक्ति उखड़ जाने से आदिवाक्य अवाच्य है. कुल झे.पृष्ठ-५०, डीवीडी-८५ चन्द्रप्रभस्तुति , प्रा., पद्य, गा.४, वताकांति ४१९ - पे.क्र. १, पृ. १, चन्द्रप्रभस्तुति व अमृताशीति, वि-११९२, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९७/९८ चन्द्रप्रभस्तुति आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, गुरु-आचार्य-धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक९, आदि वाक्य: वाचावाचां पतिरपिनयं... पातासंघवी १७२-३- पे.क्र. ३, पृ. ९A-१३B, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- अस्तव्यस्त-त्रुटक., कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-३६/५४ चन्द्रप्रभस्तोत्र सं., पद्य, पाकाहेम १४२४७- पे.क्र. १, पृ. १, चन्द्रप्रभस्तोत्र आदि, वि-१८८३, संपूर्ण चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., पद्य, श्लोक६१४१, पाताखेत ३०, पृ. ३००, चन्द्रप्रभचरित्र, संपूर्ण डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम १८९०, पृ. १७८, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. पत्र ६८-१०५ नथी अने १६५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१४० पाकाहेम १०६३६, पृ. १९, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्णप्राय चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोकगाथाबद्ध आचार्य-देवेन्द्रसूरि[नागेन्द्रगच्छ], सं.,प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १२६४अध्यायरपरि., ग्रं.५३२५, आदि वाक्यः दृष्टोपि हृष्टजनलोचन... पाकाहेम ८०४, पृ. २१३, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र सह बीजक अने पर्याय-सचित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५७२५. प्रति शुद्ध करेली छे. कुल झे.पृष्ठ-१५४ पाकाहेम १८७२, पृ. १८१, चन्द्रप्रभस्वामिचरित्र श्लोक गाथाबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- कांइक अपूर्ण. प्रतिना कागळ स्थूल छे. पहेला पानामां चन्द्रप्रभस्वामिनुं अने बीजामां आचार्य व्याख्यान वांचेछे ते स्थितिनुं चित्र छे. बन्ने चित्रो लगभग भूसाइ गया छे. पत्र ४२ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१८३ भांका १२७, पृ. ७५, चन्द्रप्रभचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-१३०३. डीवीडी-८५ भांका १५८, पृ. ८८, चन्द्रप्रभचरित्र, वि-१४९४, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-४-२१२. 258
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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