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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती गुणानुरागकुलक स्तवन आचार्य-जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, गा.३५, पाकाहेम ३६१७, पृ. ३, गुणानुरागकुलकस्तवन, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ गुरु परिपाटी जुओ - पट्टावली तपागच्छीय, आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि, प्राकृत गुरुगुणकुलक प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः गुरुवियणविहुरेण वि जिणसासणभाविएण सत्तेण... पाताखेत ११- पे.क्र. १२, पृ. २४२-२४५, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १३ ग्रन्थो, वि-१२७८, संपूर्ण प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र १,८,३१,७४,९० कुल पांच पाना घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-११२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत २३- पे.क्र. १५, पृ. ३३३-३३४, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलक* (षट्त्रिंशत्षट्विशिका) आचार्य-रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, गा.४०, पाकाहेम ११०६०, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्विशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०६१, पृ. १, गुरुगणषट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०६०, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०६१, पृ. १, गुरुगणषट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०६०, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०६१, पृ. १, गुरुगणषट्त्रिंशिकाकुलक सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण प्रा., पद्य, पाकाहेम ११०६२, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ११०६२, पृ. १, गुरुगुणषट्विंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण-(सं.)व्याख्या सं., गद्य, पाकाहेम ११०६२, पृ. १, गुरुगुणषट्त्रिंशिकानवकप्रकरण व्याख्यासहित, वि-१६मी, संपूर्ण गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल* (उत्सूत्रकन्दकुद्दाल) उपाध्याय-धर्मसागर, सं., पद्य, श्लोक२४५, पाकाहेम २५९९, पृ. ४४, गुरुतत्त्वप्रदीप सह स्वोपज्ञ टीका, वि-१९५९, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ७०७५, पृ. ८, गुरुतत्त्वप्रदीप-उत्सूत्रकन्दकुद्दाल, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६ गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, ग्रं.२२०८, पाकाहेम २५९९, पृ. ४४, गुरुतत्त्वप्रदीप सह स्वोपज्ञ टीका, वि-१९५९, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल-(सं.)स्वोपज्ञ टीका उपाध्याय-धर्मसागर, सं., गद्य, ग्रं.२२०८, 230
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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