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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३४, पृ. २१८-२१९, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह,
संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३१ क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका जिनस्तुतिगर्भित जुओ - जिनस्तुतिगर्भित क्रियागुप्त पञ्चविंशतिका, अज्ञात-महीमेरु, संस्कृत,
श्लोक५३ क्रियागुप्त पार्श्वजिनस्तवन जयराजपुरीश जुओ - पार्श्वनाथस्तवन क्रियागुप्त जयराजपुरीश, गणि-सिद्धान्तरुचि, संस्कृत,
का.१७ क्रियागुप्त पार्श्वनाथस्तव जुओ - पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त, मुनि-चन्द्रशेखर, संस्कृत, श्लोक३२ क्रियागुप्त यमकादिमय नाभेयस्तव जुओ - नाभेयस्तव क्रियागुप्त यमकादिमय#, अज्ञात-नयप्रभ, संस्कृत, श्लोक१३ क्रियागुप्त विविधछन्दोबद्ध महावीरस्तुति जुओ - महावीरस्तुति विविधछन्दोबद्ध क्रियागुप्त#, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत,
का.२५ क्रियागुप्त वीरजिनस्तव जुओ - वीरजिनस्तव क्रियागुप्त, संस्कृत, का.१६ क्रियागुप्त स्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिकाविविध छन्दोमयी, मुनि-सागरचन्द्र, संस्कृत, श्लोक२५ क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिका विविध छन्दोमयी (विविध छन्दोमयी क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विशतिका), (क्रियागुप्त स्तुतिचतुर्विंशतिका), (स्तुतिचतुर्विंशतिका-क्रियागुप्त विविध छन्दोमयी) मुनि-सागरचन्द्र, गुरु-आचार्य-अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर), सं., पद्य, श्लोक२५,
कृ.विः अन्तवाक्य- सागरचन्द्र इत्यभिध० नानावृत्तनिवेशपेशलतरैर्युक्ताक्रियागुप्तकैः. पाताहेसं १६८ - पे.क्र.७, पृ. १७-१८, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. श्लोक-१-६ नहीं है. झेरोक्ष पत्र-२७-२८. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम ११३०८- पे.क्र. ४, पृ. ३-४, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन (चन्द्रप्रभजिनस्तवन क्रियाभासेन)
सं., पद्य, श्लोक३६, पाकाहेम ८२३२, पृ. १, क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, पाकाहेम ८२३२, पृ. १, क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, पाकाहेम ८२३२, पृ. १, क्रियाभासेन चन्द्रप्रभजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ क्रियारत्नसमुच्चय
आचार्य-गुणरत्नसूरि, सं., रचना सं. विक्रम १४६६, ग्रं.५७७८, पातासंघवी ५६-१, पृ. २१२, क्रियारत्नसमुच्चय, वि-१४९२, संपूर्ण
डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी १०५-२, पृ. १८३, क्रियारत्नसमुच्चय, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र १२-७७ नथी. पातासंघवी १०६-१, पृ. ११०, क्रियारत्नसमुच्चय सबीजक, वि-१४६६, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र सबीजक-५७७८., पत्र १८६ थी ३१८ नथी. नं. ३३९ ना बे पत्र छे. ३५५ ने बदले १५५
पाकाहेम ७२१९, पृ.६७, क्रियारत्नसमुच्चय, वि-१५०१, संपूर्ण
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