SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ९९- पे.क्र.६, पृ. १३५-२००, सुबाहु आदि कथा सचित्र आदि, वि-१३४५, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १३५-१३६-२०० नथी. १३६मां पत्रनो टुकडो छे. पत्र १९२ नथी. प्रत विशेष- २९, ३०, ५३ पत्रमा चित्रो छे. डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी ६५-१- पे.क्र. १, पृ. १-११४, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, वि-१३६०, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १६९-१- पे.क्र. १, पृ. १-११६, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, अपूर्ण पे. विशेष- पत्र ४२-५३-६३-६५-६६-६९-७०-८२-८५ थी ९२-९४ नथी. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १६९-२- पे.क्र. १, पृ. १-८९, कल्पसूत्र आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९४-१- पे.क्र.१, पृ. १-१३८, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण डीवीडी-३७/५४ पातासंघवी १९४-२- पे.क्र. १, पृ. १-१४५, कल्पसूत्र तथा कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ६०- पे.क्र. १, पृ.???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, दीपालीकाकल्प, संपूर्ण डीवीडी-६/१५ पाताहेसं ७४- पे.क्र. १, पृ. ???, कल्पसूत्र, कालिकाचार्यकथा, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७५- पे.क्र. १, पृ.???, कल्पसूत्रचूर्णि नियुक्ति, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटित. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. गायकवाड केटलॉगमां पर्युषणाकल्पसूत्र (सभाष्य)एम लखेल छे. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७६- पे.क्र. १, पृ. १-११८, कल्पसूत्र सचित्र कालिकाचार्यकथा गद्य, वि-१३४४, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ११०+३३. गायकवाड केटलॉगमां मूल पत्र ५३-११० कालकाचार्यकथा १११-१४३. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७७- पे.क्र. १, पृ. १०७, कल्पसूत्र टिप्पणी सहित कालिकाचार्यकथा गद्य, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. (नवा केटलॉगमा पत्र १०७ ज आप्या छे.) डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७८ - पे.क्र. १, पृ. १-११३, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य, वि-१३३६, संपूर्ण डीवीडी-६/१६ पाताहेसं ७९- पे.क्र. १, पृ. १-११६, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्य-पद्य, वि-१३६४, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८०- पे.क्र. १, पृ. १-१२४, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा पद्य, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८१- पे.क्र. १, पृ. १-१३९, कल्पसूत्र कालिकाचार्यकथा लघुपर्युषणा कल्प, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्त-समाप्तोयं लघुपर्युषणाकल्पः परं कथाया दिङ्मात्रं. नवा सूचीपत्रमा कर्तानाम विनयचन्द्रसूरि आप्यु छे-कोना कर्ता? डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८३, पृ. ९१, कल्पसूत्र, संपूर्ण डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ८५, पृ. १०७, कल्पसूत्र, संपूर्ण 177
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy