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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६९५०, पृ. ५२, कर्पूरप्रकरटीका, वि-१७मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५३ कर्पूरप्रकर-(सं.)टीका सं., गद्य, अताका ५०२, पृ. १९३, कर्पूरप्रकर वृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- डेहेला ना उपाश्रयनी प्र.नं.-६६६९ डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ६९५०, पृ. ५२, कर्पूरप्रकरटीका, वि-१७मी, अपूर्ण __कुल झे.पृष्ठ-५३ कर्पूरप्रतिष्टा प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सयलसुरासुरमाणुसवन्तर... भांता ७०- पे.क्र. ७७, पृ. ९७A-९७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ कर्पूरमञ्जरी लघुटीका जुओ - कर्पूरमञ्जरीनाटिका-(सं.)लघुटीका, संस्कृत कर्पूरमञ्जरी सट्टक जुओ - कर्पूरमञ्जरीनाटिका, कवि-राजशेखर, संस्कृत,प्राकृत कर्पूरमञ्जरीनाटिका (कर्पूरमञ्जरी सट्टक) कवि-राजशेखर, सं.,प्रा., संयुक्त प+ग, कृ.विः अनेक भाषाओ. पाकाहेम ६८०५, पृ. १२, कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम ७३७६, पृ. १०, कर्पूरमञ्जरी सट्टक, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे. कुल झे.पृष्ठ-११ कर्पूरमञ्जरीनाटिका-(सं.)लघुटीका (कर्पूरमञ्जरी लघुटीका) सं., गद्य, पाकाहेम ६८०५, पृ. १२, कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्पूरमञ्जरीनाटिका-(सं.)लघुटीका (कर्पूरमञ्जरी लघुटीका) सं., गद्य, पाकाहेम ६८०५, पृ. १२, कर्पूरमञ्जरी सट्टक लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मकुलक प्रा., पद्य, गा.२२, पाकाहेम १०६१०- पे.क्र. ३, पृ. १४मुं, पुष्पमालाप्रकरण आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कर्मग्रन्थ आचार्य-नेमिचन्द्र (दिगम्बर), प्रा., पद्य, गा.१६१, पाकाहेम १०१४२, पृ. १२, कर्मग्रन्थ, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मग्रन्थ चतुर्थ जुओ - आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति', गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.८६ कर्मग्रन्थ चतुर्थ नव्य जुओ - षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रन्थ, आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्राकृत, गा.८६ कर्मग्रन्थ तृतीय प्राचीन जुओ - बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ, प्राकृत, गा.५४ 160
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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