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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-६९ पाकाहेम २१९, पृ. ५७, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ पाकाहेम २२२, पृ. ७६, औपपातिकउपाङ्गसूत्रवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-९९ पाकाहेम ६९१३, पृ. ८३, औपपातिकउपाङ्गसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मू. ग्रन्थाग्र-१,१७५ टीका ग्रन्थाग्र-३१२५. कुल झे.पृष्ठ-८३ पाकाहेम ६९१५, पृ. ५६, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१६०७, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ पाकाहेम १००११, पृ. ५९, औपपातिकउपाङ्गसूत्र वृत्ति, वि-१५७१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३१२५. प्रथम पत्रमा अम्बड परिव्राजक सुलसा श्राविकाना सम्यक्त्वनी परीक्षा करी रह्यो छे ते भावने सूचवता चित्र सहित भगवान महावीरना समवसरण- भाववाही हृद्यंगम सुमधुर चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-६० पाकाहेम १०३४४, पृ. ६३, औपपातिकोपाङ्गसूत्रवृत्ति, वि-१५७८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३४३५. कुल झे.पृष्ठ-६४ पाकाहेम १६७३७, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४३००. कुल झे.पृष्ठ-५४ पाकाहेम १६७३८, पृ. ८३, औपपातिकोपाङ्ग सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५६ औपपातिकोपाङ्गसूत्र-(सं.)सुखबोधा टीका (सुखबोधा टीका) सं., गद्य, पाताहेसं १७१-१८, पृ. १-५९, औपपातिकोपाङ्गसूत्र सुखबोधावृत्ति सह, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ औषध सङ्ग्रह जुओ - केटलाक दर्दोनां औषध, मारुगूर्जर औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक उपाध्याय-धर्मसागर, प्रा., पद्य, गा.१७, पाकाहेम ११०४९, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण पाकाहेम ११०५०, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलकसावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०५०, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलकसावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम ११०५०, पृ. १, औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलकसावचूरि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण कक्क जुओ - शालिभद्रकारक, अज्ञात-पउम, अपभ्रंश, गा.६९ कक्षापट वृत्ति जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सङ्क्षप-(सं.)कक्षापट वृत्ति, संस्कृत कणपोटली टीका जुओ - सप्तपदार्थी-(सं.)कणपोटली टीका, संस्कृत कण्टकोद्धार सं., गद्य, पाकाहेम ८७९४- पे.क्र. २, पृ.?, सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण आदि, वि-१७मी, संपूर्ण 154
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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