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________________ कुल झे. पृष्ठ- २५ पाकाम १४९०१ पृ. २२ उपासकदशाङ्गसूत्र वि - १६०७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२२ पुणे ४४६, पृ. २४०, उपासकदशाङ्गसूत्र वि-१५६३, संपूर्ण कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष - उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है. पंडित बेचरदास दोशी द्वारा संशोधित प्रति. टिप्पणयुक्त. प्रतिलेखन पुष्पिका मध्यम. कुल झ. पृष्ठ- २४० झे. पुणे ४५६, पृ. १७, उपासकदशाङ्गसूत्र, वि-१५७५, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. मूल प्रति पर से झेरोक्ष किया गया है. कुल झे. पृष्ठ-३४ पुणे ४५७, पृ. ७१, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष एल. डी. इंडोलोजी अहमदाबाद के मूल प्रत की झेरोक्ष. कुलझे पृष्ठ-७१ पुप्रे ४५८, पृ. १११, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष टिप्पण व पाठभेद सहित. कुल झ. पृष्ठ- १११ झे. पुप्रे ४५५-१, पृ. ७२, उपासकदशाङ्ग, संपूर्ण प्रत विशेष- पाठान्तरयुक्त भंडारों के संकेत एवं किस पत्र में क्या पाठान्तर है उसकी सूची प्रत की प्रेसकॉपी के संदर्भ में सामान्य जानकारी. कुल झ. पृष्ठ-७२ झे. उपासकदशाङ्गसूत्र (सं.) वृत्ति आचार्य - अभयदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ९००, आदि वाक्यः श्रीवर्द्धमानमानम्य व्याख्या क पातासंघवी ३३-१- पे. क्र. ६. पृ. ८५-१०५, उपासकदशाङ्ग आदि वि-१४५५. संपूर्ण पे. विशेष - सारी छे., प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी - २५/४३ पाताहेसं ६- पे.क्र. ४, पृ. १२३A - १५०B, पञ्चाङ्गीसूत्रटीका, संपूर्ण पे. नाम उपासकदशासूत्र की टीका प्रत विशेष मूल पत्र-४७थी १२३ टीका पत्र १२३थी २४०. पाकाहेम १०००७- पे क्र. १ पृ. १-१७, उपासकदशाङ्गसुत्रवृत्ति आदि वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष पेटांक १ थी ३ ना श्लोक १३०० प्रथम पत्रमां क्रमांक १०००३ना टिप्पणमां जणाच्या प्रमाणेनुं भव्य चित्र छे. - कुल झे. पृष्ठ- १०६ पाकाहेम १०५३८, पृ. २० उपासकदशाङ्गसूत्र टीका, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८४६. पत्र ५मुं डबल छे अने १७ नथी.. कुल झे. पृष्ठ- २० पाकाहेम १४९०६ - पे.क्र. १, पृ. १-१५, पञ्चाङ्गीवृत्ति, वि-१५३८, संपूर्ण प्रत विशेष प्रथम पृष्टमां समोवसरणनुं चित्र छे अने १२ तथा४२मुं डबल छे. पाकाभामा ८- पे.क्र. १ पृ. १ १७ उपासकदशाङ्गवृत्ति, अन्तकृदशाङ्गवृत्ति व अनुत्तरीपपातिकदशाङ्गवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण पे. नाम उपासकदशांगसूत्र की अमयदेवीय वृत्ति पुणे ४५७, पृ. ७१, उपासकदशाङ्गसूत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष- एल. डी. इंडोलोजी - अहमदाबाद के मूल प्रत की झेरोक्ष . 129
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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