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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा-(सं.)शतार्थी टीका (शतार्थी टीका) पं.-उदयधर्म गणि, गुरु-पण्डित-लावण्यधर्म, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६०५, आदि वाक्यः नत्वानन्तार्थदेष्टारं जिनं विश्वत्रयीश्वरम्.... पुप्रे ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला-(प्रा.)हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा गणि-धर्मदास गणि, प्रा., पद्य, गा.१, आदि वाक्यः दोससयमूलजालं पुवरिसिविवज्जिअं जईवन्तं... पुन ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण । प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा-(सं.)शतार्थी टीका (शतार्थी टीका) पं.-उदयधर्म गणि, गुरु-पण्डित-लावण्यधर्म, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६०५, आदि वाक्यः नत्वानन्तार्थदेष्टारं जिनं विश्वत्रयीश्वरम्... पुप्रे ४४९, पृ. ५६, शतार्थी, संपूर्ण प्रत विशेष- मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित. कुल झे.पृष्ठ-५६ उपदेशमाला-(सं.)छाया उपदेशमालापर्याय छायारुप (उपदेशमालापर्याय छायारुप) सं., पद्य, कृ.विः जयशेखरसूरि कृत अवचूरिमांथी उद्धरेला पर्याय. पाकाहेम ८८८, पृ. २८, उपदेशमालापर्याय छायारुप, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२० उपदेशमाला-(सं.)टीका आचार्य-अमरप्रभसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम ६८५५, पृ. ३२, उपदेशमालाप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२ उपदेशमाला-(सं.)लघुवृत्ति सं., गद्य, वताकांति ३९४, पृ. ३०७, उपदेशमाला लघुवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-९७/९८ उपदेशमाला-(सं.)विवरण सं., गद्य, पाकाभाभा ४१, पृ. ५८, उपदेशमाला प्रकरण विवरणसह, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रथम पत्र नथी. उपदेशमाला-(सं.)विवरण-कथासक्षेप आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., गद्य, पाताहेसं १५१- पे.क्र. १, पृ. ?, उपदेशमालाकथासक्षेपविवरणादि त्रुटक खण्डित अपूर्ण नकामा पानानो सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- उपदेशमालाकथासंक्षेपविवरण, पे. विशेष- अपूर्ण. पत्र त्रुटक व अव्यवस्थित है. झेरोक्ष पत्र-१-२४. गाथा-४२९ तक मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८/१७ उपदेशमाला-(सं.)वृत्ति जुओ - धर्मोपदेशमाला-(सं.)वृत्ति, आचार्य-मुनिदेवसूरि, संस्कृत उपदेशमालाकथासमास (उपदेशमालाप्रकरण-(प्रा.)कथाकोश) आचार्य-जिनभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.२८९०, ग्रं.३६१३, आदि वाक्यः अरहन्तमरिहमरुहं पणमिय सिरिवीरद्धमाणजिणं... 117
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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