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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १२७५५- पे.क्र. ३, पृ. १B, अनेकविधिविधान, शास्त्रीयविचारप्रकरण औपदेशिकविषय तथा सुभाषितादिसङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं कखा ३७मुं नथी अने ४३मुं डबल छे. पत्र-६३-६५ के एक ही ओर का झेरोक्ष है. कुल झे.पृष्ठ-४१ उत्सूत्रकन्दकुद्दाल जुओ - गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल, उपाध्याय-धर्मसागर, संस्कृत, श्लोक२४५ उदायिनृपमारककथानक प्रा., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ११, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ३७ से प्रारंभ होता है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० उद्दामदण्डकछन्दोमयी जिनस्तुति जुओ - जिनस्तुति उद्दामदण्डकछन्दोमयी, संस्कृत, का.४ उपकरणविचार प्रा., पद्य, आदि वाक्यः उवगरणम्मि धरेज्जा न रागस्स होइ उप्पत्ती... कृ.विः अं.वाक्य-पृथुत्वेन दुहत्तेत्यादिना भणिता दीहत्तणेण कप्पमाणा चउहत्था वा. भांता ७०- पे.क्र. १६४, पृ. २१८A-२२५B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. नाम- विनस्पतिविचार-प्रज्ञापनायां, पे. विशेष- पूर्ण. पत्रांक ६ नहीं है. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ उपकारविषये श्रीदत्तकथा जुओ - श्रीदत्तकथा उपकारविषये, संस्कृत उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र (जिनस्तोत्र उपखाणागर्भित) प्रा., पद्य, गा.३५, पाकाहेम ८२२९, पृ. १, उपखाणागर्भित जिनस्तोत्र, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ उपदेश कुलक प्रा., पद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. १, पृ. १-४, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेश कुलक सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ उपदेश कुलक-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८- पे.क्र. १, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेश कुलक सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ उपदेश कुलक-(मा.गु.)टबार्थ मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १७९५८ - पे.क्र. १, पृ. ८, उपदेश कुलक सस्तबक आदि, वि-१९मी, संपूर्ण पे. नाम- उपदेश कुलक सह (मा.गु.)स्तबक कुल झे.पृष्ठ-९ उपदेशकन्दली (उपदेशस्कन्दली) आसड, प्रा., पद्य, गा.१२५, आदि वाक्यः तिहुयणमङ्गलतिलयं कयदुज्जय भाववेरिभवविलयं.. पातासंघवी १६४- पे.क्र.७, पृ. २०१-२१५, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण 105
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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