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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहवृत्तिनो हिस्सो (सं.)सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल (सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थलउत्तराध्ययनसूत्र पाइय टीकागत) सं., गद्य, पाकाहेम ८७९८, पृ. २, सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उत्तराध्ययन-पाइयटीकागत. कुल झे.पृष्ठ-२ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९०- पे.क्र. १२, पृ.?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-अव्यवस्थित. कुल झे.पृष्ठ-१४४, डीवीडी-५८/६० पाताहेसं १७१-३, पृ. ८९, उत्तराध्ययनसूत्र सटीक पञ्चायतन, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ वताहंस ४४७, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी डीवीडी-९९/१०० उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)वृत्ति | मुनि-कीर्तिवल्लभ गणि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२५, श्लोक८२६०, आदि वाक्यः अहं भिक्षोविनयं प्रादुष्करिष्यामि... कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. भांका १५५, पृ. २८४, उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति, वि-१७१०, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६६५. डीवीडी-८५ उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)सुखबोधावृत्ति (सुखबोधावृत्ति), (सुबोधावृत्ति) आचार्य-नेमिचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-आम्रदेवसूरि, सं.,प्रा.,अप., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२९, ग्रं.१२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य विघ्नसङ्घातघातिनस्तीर्थनायकान्।... पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. १, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ११- पे.क्र. २, पृ. १-१६०, उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-१ डीवीडी-२१/४० पातासंघवी ११- पे.क्र. ३, पृ. १६१-२७६, उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-२ डीवीडी-२१/४० पातासंघवी ४३, पृ. ३४७, उत्तराध्ययनसुखबोधावृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां त्रुटक छे. अंत नथी. ताडपत्रना पानामां लखेलां अंकवाळा पत्रो नथी. डीवीडी-२७/४५ पाताहेसं २८, पृ. २८९, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २९, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१२२८, संपूर्ण 102
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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